FPI Investment: विदेशी निवेशकों की बदली रणनीति: शेयर बाजार से निकासी, डेट मार्केट में रिकॉर्ड निवेश

FPI Investment - विदेशी निवेशकों की बदली रणनीति: शेयर बाजार से निकासी, डेट मार्केट में रिकॉर्ड निवेश
| Updated on: 30-Nov-2025 05:45 PM IST
भारतीय शेयर बाजार में पिछले हफ्ते एक बार फिर रौनक लौट आई है, जिससे निवेशकों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई है। बाजार के 'हरे निशान' में रहने का सीधा असर यह हुआ कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की शीर्ष 10 कंपनियों में से 7 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में 96,000 करोड़ रुपये से अधिक का उल्लेखनीय इजाफा दर्ज किया गया और यह वृद्धि बाजार में सकारात्मक धारणा और निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। हालांकि, इस तेजी के बीच, भारतीय पूंजी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की वापसी एक। महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, लेकिन उनकी निवेश रणनीति में इस बार एक स्पष्ट बदलाव देखने को मिला है। जो विदेशी निवेशक कुछ समय से भारतीय बाजार से दूरी बनाए हुए थे, वे। अब वापस लौट आए हैं, लेकिन उनका निवेश का तरीका पहले से अलग है।

नवंबर में एफपीआई का शुद्ध निवेश: एक सकारात्मक संकेत

नवंबर महीने के वित्तीय आंकड़े भारतीय पूंजी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की गतिविधियों को लेकर बेहद दिलचस्प और महत्वपूर्ण रुझान दिखाते हैं और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) द्वारा हाल ही में जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने नवंबर माह के दौरान भारतीय पूंजी बाजार में कुल 4,114 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश दर्ज किया है। यह आंकड़ा बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह लगातार दूसरा महीना है जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पूंजी निकालने के बजाय उसमें नई पूंजी का निवेश किया है और यह प्रवृत्ति बाजार की धारणा को मजबूत करती है और घरेलू निवेशकों के बीच भी विश्वास पैदा करती है। इस शुद्ध निवेश का मतलब है कि नवंबर में FPIs द्वारा की गई कुल खरीदारी, कुल बिकवाली से ₹4,114 करोड़ अधिक थी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके वित्तीय बाजारों में उनके बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। यह वापसी ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कई अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जिससे भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में उभर रहा है।

बदली रणनीति: इक्विटी से निकासी, डेट मार्केट में भारी निवेश

हालांकि, नवंबर में हुए इस शुद्ध निवेश के पीछे की कहानी थोड़ी जटिल है और यह विदेशी निवेशकों की बदली हुई रणनीति को उजागर करती है। जब हम 'बाजार' में निवेश की बात करते हैं, तो इसमें इक्विटी। (शेयर बाजार) और डेट मार्केट (कर्ज बाजार, जैसे बॉन्ड्स) दोनों शामिल होते हैं। नवंबर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने इक्विटी यानी सीधे शेयरों से 3,765 करोड़ रुपये की निकासी की है। इसका अर्थ है कि उन्होंने इस अवधि में जितने शेयर खरीदे, उससे अधिक बेचे। यह दर्शाता है कि वे सीधे शेयरों से जुड़े जोखिमों से फिलहाल बचना चाह रहे हैं। इसके विपरीत, विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट में जमकर खरीदारी की और इसमें 4,674 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया। यह डेट मार्केट में उनका एक मजबूत विश्वास दिखाता है, जहां वे अपेक्षाकृत सुरक्षित और स्थिर रिटर्न की तलाश में हैं।

इसके अतिरिक्त, म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से भी उन्होंने भारतीय बाजार में 3,098 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो अप्रत्यक्ष रूप से बाजार में उनकी उपस्थिति को मजबूत करता है और हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स में भी लगभग 103 करोड़ रुपये का निवेश आया। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि विदेशी निवेशक भारत पर भरोसा तो कर रहे हैं, लेकिन वे सीधे शेयरों के उच्च जोखिम से बचकर डेट फंड जैसे सुरक्षित और कम अस्थिरता वाले रास्तों के माध्यम से पूंजी लगाना अधिक पसंद कर रहे हैं। अगर हम नवंबर के आंकड़ों को पूरे कैलेंडर वर्ष के संदर्भ में देखें, तो विदेशी निवेशकों के निवेश पैटर्न की एक व्यापक तस्वीर सामने आती है। इस साल अब तक, विदेशी निवेशकों का रवैया थोड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। साल के 11 महीनों में से, वे 7 महीनों तक 'नेट सेलर' रहे हैं, जिसका अर्थ है कि उन्होंने इन महीनों में भारतीय बाजार से अधिक पूंजी निकाली है।

वहीं, केवल 4 महीनों में ही उन्होंने शुद्ध खरीदारी की है। कुल मिलाकर, इस साल अब तक एफपीआई ने भारतीय बाजार से 45,251 करोड़ रुपये की भारी-भरकम शुद्ध निकासी की है। इस निकासी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इक्विटी मार्केट की रही है, जहां से उन्होंने कुल 1,37,492 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। यह इक्विटी बाजार के प्रति उनकी सतर्कता को दर्शाता है। इसके ठीक उलट, डेट मार्केट में उन्होंने 87,250 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया है, जो इस क्षेत्र में उनके बढ़ते भरोसे और सुरक्षित निवेश की प्राथमिकता को रेखांकित करता है। वहीं, म्यूचुअल फंड्स के जरिए भी कुल 3,101 करोड़ रुपये का सकारात्मक निवेश देखने को मिला है। यह समग्र रुझान वैश्विक अनिश्चितताओं और ब्याज दरों में संभावित बदलावों के बीच विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों की तुलना में। भारतीय बॉन्ड्स और अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स को अधिक सुरक्षित और संभावित रूप से मुनाफेमंद मानने की प्रवृत्ति को स्पष्ट करता है।

भारतीय बाजार की मजबूती और शीर्ष कंपनियों का प्रदर्शन

विदेशी निवेशकों के इस मिश्रित रुख के बावजूद, भारतीय बाजार ने पिछले हफ्ते जबरदस्त मजबूती का प्रदर्शन किया। बाजार के सकारात्मक मूड और घरेलू निवेशकों के बढ़ते विश्वास ने देश की सबसे बड़ी कंपनियों को लाभ पहुंचाया। बीएसई सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों में से 7 के बाजार पूंजीकरण में कुल 96,201 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि निवेशकों ने इन बड़ी और स्थापित कंपनियों पर अपना भरोसा कायम रखा है, जिससे उनकी संपत्ति में वृद्धि हुई है और हालांकि, यह हफ्ता सभी कंपनियों के लिए समान रूप से अच्छा नहीं रहा। शीर्ष 10 में से तीन कंपनियों को नुकसान भी उठाना। पड़ा, जिससे उनका संयुक्त बाजार पूंजीकरण 43,999 करोड़ रुपये घट गया। इसके बावजूद, कुल मिलाकर देखें तो बाजार में खरीदारों का पलड़ा भारी रहा और सकारात्मक धारणा बनी रही। जब बड़ी कंपनियों का मूल्यांकन बढ़ता है, तो यह न केवल संस्थागत निवेशकों के लिए, बल्कि छोटे और मझोले निवेशकों के लिए भी आत्मविश्वास का काम करता है, जो बाजार की समग्र स्थिरता और विकास में योगदान देता है और यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित शक्ति और उसके लचीलेपन को भी दर्शाती है, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निवेशकों को आकर्षित कर रही है।

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