Punjab Flood: पंजाब में बाढ़ क्यों आती रहती है? मची हुई है भीषण तबाही, घर भी छोड़ने को मजबूर हुए ग्रामीण

Punjab Flood - पंजाब में बाढ़ क्यों आती रहती है? मची हुई है भीषण तबाही, घर भी छोड़ने को मजबूर हुए ग्रामीण
| Updated on: 07-Sep-2025 09:15 AM IST

Punjab Floods: पंजाब, जिसे पांच नदियों की भूमि के रूप में जाना जाता है, इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। गांव के गांव जलमग्न हो चुके हैं, और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल भारत के पंजाब को, बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। इस लेख में हम पंजाब में बाढ़ के कारणों, इसके प्रभावों और सरकार के सामने मौजूद चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

बाढ़ का भयावह प्रभाव

पंजाब में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। राज्य सरकार ने सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया है। शुक्रवार के आंकड़ों के अनुसार, 1,902 गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जिससे 3.8 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, 11.7 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि नष्ट हो गई है, जो पंजाब की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। इस आपदा में कम से कम 43 लोगों की जान जा चुकी है।

लोगों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी बाढ़ ने कहर बरपाया है, जहां प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 43 लोगों की मौत हुई है और 9 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

बाढ़ के कारण

पंजाब में बाढ़ के कई कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारक शामिल हैं। आइए, इन कारणों को विस्तार से समझते हैं:

1. भौगोलिक स्थिति और नदियां

पंजाब की भौगोलिक स्थिति इसे बाढ़ के प्रति संवेदनशील बनाती है। रावी, ब्यास और सतलुज जैसी तीन प्रमुख नदियां राज्य से होकर बहती हैं। रावी पठानकोट और गुरदासपुर से, ब्यास होशियारपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, अमृतसर, तरनतारन और हरिके आर्द्रभूमि से, और सतलुज नंगल, रोपड़, नवांशहर, जालंधर, लुधियाना, मोगा, फिरोजपुर और तरनतारन से होकर गुजरती है। इसके अलावा, मौसमी नदी घग्गर और छोटी सहायक नदियां, जिन्हें स्थानीय रूप से "चोई" कहा जाता है, भी बाढ़ का कारण बनती हैं। मानसून के दौरान इन नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

2. बांधों का प्रबंधन

पंजाब की तीन प्रमुख नदियों पर बने बांध—भाखड़ा, पोंग और थीन—बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब भारी बारिश के कारण इन बांधों के जलाशय भर जाते हैं, तो पानी को नियंत्रित करने के लिए छोड़ना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कई बार निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है। उदाहरण के लिए, इस साल 26 अगस्त को थीन बांध से पानी छोड़े जाने के दौरान माधोपुर बैराज के दो गेट टूट गए, जिसके परिणामस्वरूप रावी नदी में बाढ़ आ गई।

3. शासन और समन्वय की कमी

बाढ़ का तीसरा प्रमुख कारण शासन से जुड़ी समस्याएं हैं। विशेषज्ञ लंबे समय से बांधों के बेहतर प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण के लिए उचित योजनाओं की मांग करते रहे हैं, लेकिन इनका धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी और योजनाओं के समय पर लागू न होने के कारण बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो जाती है।

सरकार के सामने चुनौतियां

राज्य सरकार राहत सामग्री पहुंचाने और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में जुटी है, लेकिन प्रभावित लोगों की समस्याओं का समाधान करना एक बड़ी चुनौती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ पानी, भोजन, और आश्रय की कमी है। इसके अलावा, कृषि भूमि के बड़े पैमाने पर नष्ट होने से किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। बाढ़ की इस विभीषिका से उबरने में लोगों को लंबा समय लगेगा।

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