China News: चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग देश में क्यों बना रहें डिटेंशन सेंटर? अमेरिकी मीडिया का खुलासा

China News - चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग देश में क्यों बना रहें डिटेंशन सेंटर? अमेरिकी मीडिया का खुलासा
| Updated on: 29-Dec-2024 09:00 PM IST
China News: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने एक नई दिशा ले ली है। अमेरिकी मीडिया चैनल CNN की एक जांच में खुलासा हुआ है कि शी जिनपिंग देशभर में 200 से अधिक विशेष डिटेंशन केंद्र बनवा रहे हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य भ्रष्टाचार और अन्य गलत कामों के संदिग्धों से पूछताछ करना है, लेकिन इसके पीछे सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादारी सुनिश्चित करने का बड़ा लक्ष्य छिपा हुआ है।

भ्रष्टाचार विरोधी अभियान: सत्तारूढ़ पार्टी पर मजबूत पकड़

2012 में सत्ता संभालने के बाद से शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया। हालांकि, यह अभियान केवल भ्रष्ट अधिकारियों तक सीमित नहीं रहा; इसके जरिए उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और आलोचकों को भी हटाने का काम किया। इस रणनीति ने उन्हें पार्टी और सेना पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद की।

शी जिनपिंग का यह अभियान न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का प्रयास है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बड़े हिस्से पर नियंत्रण स्थापित करने की योजना का हिस्सा है। इसका प्रभाव निजी उद्यमियों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल प्रशासन और यहां तक कि पार्टी सदस्यों तक को नियंत्रित करने के प्रयासों में दिख रहा है।

‘लिउज़ी’ डिटेंशन व्यवस्था: मानवाधिकारों पर प्रश्नचिह्न

शी जिनपिंग के कार्यकाल में ‘लिउज़ी’ नामक विस्तारित डिटेंशन प्रणाली लागू की गई है। इसके तहत संदिग्धों को छह महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है, जहां उन्हें वकील या परिवार से मिलने का कोई अधिकार नहीं होता।

यह व्यवस्था चीन में लंबे समय से विवादित रही है। इससे पहले, केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (CCDI) गुप्त हिरासत प्रणाली के जरिए पार्टी के संदिग्ध कैडरों से पूछताछ करता था। इस प्रथा को ‘शुआंगगुई’ कहा जाता था, जिसमें अधिकारियों को होटलों, पार्टी परिसरों या अन्य गुप्त स्थानों में महीनों तक हिरासत में रखा जाता था।

शुआंगगुई का अंत, लेकिन नई प्रणाली का उदय

2018 में बढ़ती आलोचना और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों के चलते ‘शुआंगगुई’ प्रथा को समाप्त कर दिया गया। इसके बावजूद, ‘लिउज़ी’ जैसी नई व्यवस्थाओं ने इसे प्रतिस्थापित कर दिया। इन डिटेंशन केंद्रों में संदिग्धों से पूछताछ के दौरान यातना और जबरन स्वीकारोक्ति जैसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों की घटनाएं सामने आई हैं।

तीसरे कार्यकाल में शी जिनपिंग की रणनीति

शी जिनपिंग ने अपने तीसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को केवल एक नीतिगत प्रयास तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे अपने शासन का स्थायी और संस्थागत आधार बना दिया है। यह प्रणाली उन लोगों के लिए खतरे की घंटी है, जो कम्युनिस्ट पार्टी के नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं।

वैश्विक प्रतिक्रिया और आलोचना

शी जिनपिंग की इन नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर आलोचना को जन्म दिया है। मानवाधिकार संगठन और लोकतंत्र समर्थक समूह इन प्रथाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर बड़ा हमला मानते हैं।

यह स्पष्ट है कि शी जिनपिंग का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान, सतह पर भले ही पारदर्शिता और ईमानदारी की छवि प्रस्तुत करता हो, लेकिन इसका असली उद्देश्य सत्ता और नियंत्रण को मजबूत करना है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह प्रणाली चीन की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करती है।

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