दुनिया / बेरूत कैसे पहुंचा 'बारूद'? अमोनियम नाइट्रेट की कहानी, कैप्‍टन की जुबानी

Zee News : Aug 07, 2020, 09:32 PM
बेरूत: लेबनान की राजधानी बेरूत (Beirut) में मौत और तबाही की वजह बना केमिकल 7 साल पहले यहां पहुंचा था। आग और धुएं के आगोश में एक शहर को डुबो देने वाला अमोनियम नाइट्रेट एक रूसी कार्गो शिप के जरिए आया था, जिसे लाने वाले जहाज के कप्तान के मुताबिक इतने बड़े पैमाने पर एक जगह इतना केमिकल रखना सही फैसला नहीं था।

विनाश की खेप को 2013 में लाने वाले कैप्टेन बोरिस प्रोकोशेव ( Boris Prokoshev) के मुताबिक, कंसाइनमेंट मालिक ने उन्हे एक्स्ट्रा कार्गो को उठाने के नाम पर शिप को बिना तय शेड्यूल के लेबनान में रोकने को कहा था। उनके मुताबिक विनाश की एक वजह उस वक्त किसी के मन में आया लालच भी हो सकता है। प्रोकोशेव ने बताया कि शिप में 2750 टन बेहद ज्वलनशील केमिकल मौजूद था, जिसे जॉर्जिया (Georgia) से मोजांबिक (Mozambique) जाना था। लेकिन तभी उन्‍हें जहाज को बेरूत डॉयवर्ट करने का आदेश मिला। 

मोजांबिक की मिस्ट्री

जहाज में मौजूद क्रू को अफ्रीका की ओर रवानगी से पहले जॉर्डन के पोर्ट ऑफ अक़ाबा (Port of Aqaba) से सड़क बनाने के काम आने वाले भारी उपकरणों की लोडिंग करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया था। जबकि विनाश की वजह बने अमोनियन नाइट्रेट की ये खेप अफ्रीका के एक विस्फोटक बनाने वाले कारोबारी तक पहुंचाने के लिए जहाज में लाई गई थी। लेकिन बेरूत पहुंचने के बाद शिप फिर कहीं नहीं गया, जिसकी वजह एक्स्ट्रा कार्गो लोडिंग और पोर्ट फीस को लेकर शुरू हुआ कानूनी विवाद रही। 

70 साल के तत्कालीन इंचार्ज रहे प्रोकोशेव ने रॉयटर्स (Reuters) को उस दौरान के पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसमें एक्स्ट्रा कार्गो लाने का जिक्र भी शामिल था। काला सागर के तट स्थित रूसी रिसॉर्ट टाउन सोची स्थित घर से फोन पर चर्चा करने वाले अधिकारी से पहले ये भी पूछा गया था कि क्या इतना केमिकल पूरी शिप को बर्बाद करने के लिए काफी था। इस पूरे प्रकरण में उस समय शिप के मालिक समेत कई लोगों की कानूनी प्रकिया के तहत गिरफ्तारी हुई, और कई महीनों बाद इस अमोनियम नाइट्रेट को एक गोदाम में ले जाया गया।

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