Pakistan-Afghanistan War / अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हमले में क्या है USA का 'हिडेन रोल', ट्रंप-मुनीर ने चली कौन सी चाल?

पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान पर हालिया हवाई हमलों के पीछे अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की छिपी भूमिका की आशंका जताई जा रही है। ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर की कथित रणनीति से अमेरिका को अफगानिस्तान में फिर से पैर जमाने का मौका मिल सकता है, खासकर भारत-तालिबान के बढ़ते संबंधों के बीच। यह भारत के लिए चुनौती है।

अक्टूबर 2025 में पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में किए गए हवाई हमलों ने दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में तनाव बढ़ा दिया है। इन हमलों में दर्जनों अफगानी मारे गए, जिसे तालिबान ने ‘नागरिकों पर हमला’ करार देकर जवाबी कार्रवाई की। इस संघर्ष के पीछे अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘हिडेन रोल’ तथा पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की ‘शातिर चाल’ की चर्चा तेज है। विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि यह सब भारत और तालिबान के बीच बेहतर होते संबंधों से जुड़ा हो सकता है, जिससे पाकिस्तान और अमेरिका दोनों को झटका महसूस हो रहा है।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष की जड़ें

डूरंड लाइन पर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव दशकों पुराना है और 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि तालिबान, तेहरिक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह दे रहा है, जो पाकिस्तान में आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने कई बार अफगान क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई की। मार्च 2024 में तनाव कुछ कम हुआ, लेकिन दिसंबर 2024 से यह फिर बढ़ गया और अक्टूबर 2025 के हमलों में पाकिस्तान ने ‘आतंकी ठिकानों’ को निशाना बनाने का दावा किया, जबकि तालिबान ने इसे ‘निहत्थे नागरिकों पर हमला’ बताया। दोनों पक्षों ने 48 घंटे का सीजफायर किया, लेकिन सीमा पर व्यापार और तनाव बरकरार है।

पाक हमलों में अमेरिका का ‘हिडेन रोल’

2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब फिर से ट्रंप बगराम एयरबेस पर कब्जे की बात कह रहे हैं। सितंबर 2025 में ट्रंप ने तालिबान को चेतावनी दी कि बगराम मामले में सहयोग नहीं करने पर उसे ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे और इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिए। यूट्यूब और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अमेरिका, पाकिस्तान के जरिये तालिबान पर दबाव डाल रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ट्रंप की मध्यस्थता की तारीफ की और भारत पर तालिबान से नजदीकी बढ़ाने का आरोप लगाया। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की पाकिस्तान से दोस्ती भारत और अफगानिस्तान के लिए चिंताजनक है, क्योंकि यह तालिबान को कमजोर करने की रणनीति हो सकती है।

भारत-तालिबान रिश्तों में सुधार से पाक-अमेरिका की चिंता

इस बीच भारत-तालिबान के रिश्तों में सुधार के प्रयासों से पाकिस्तान और अमेरिका पस्त होते दिख रहे हैं। भारत ने 2025 में तालिबान के साथ अपने संबंधों में उल्लेखनीय बदलाव किया। अभी 9 से 16 अक्टूबर तक तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भारत की यात्रा की थी। यह दोनों पक्षों के रिश्तों में सुधार का एक ऐतिहासिक कदम था। इसके बाद ही भारत ने 2021 से बंद काबुल दूतावास को फिर से खोलने की घोषणा की। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और तालिबान के बीच बढ़ती राजनयिक नजदीकी का कारण दोनों का पाकिस्तान के प्रति साझा विरोध है और भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता, व्यापार और बुनियादी ढांचे में मदद दे रहा है। चैथम हाउस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह सुधार पाकिस्तान-अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों और नई दिल्ली-वाशिंगटन के संबंधों में तनाव से प्रेरित है और पाकिस्तान भारत-तालिबान की इस नजदीकी से परेशान है, क्योंकि भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। **क्या है ट्रंप-मुनीर की ‘चाल’? सितंबर 2025 में व्हाइट हाउस में ट्रंप और मुनीर की मुलाकात हुई, जिसमें पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भी शामिल थे। ट्रंप ने मुनीर को ‘पसंदीदा फील्ड मार्शल’ कहकर संबोधित किया। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि मुनीर ट्रंप के साथ एक ‘रणनीतिक दांव’ खेल रहे हैं, ताकि अमेरिका बगराम बेस पर नियंत्रण हासिल कर सके। भारत-तालिबान के बेहतर रिश्तों ने ट्रंप और मुनीर को एक चाल चलने के लिए प्रेरित किया। पाकिस्तान को प्रॉक्सी बनाकर तालिबान को कमजोर करना। जब तालिबान ने बगराम बेस पर कब्जे की मांग ठुकराई, तो ट्रंप ने धमकी दी और पाकिस्तान ने हमले शुरू कर दिए और एक्स पर कुछ पोस्ट्स में इसे भारत के प्रभाव को रोकने की साजिश बताया गया। अल जजीरा ने ट्रंप की पाकिस्तान नीति को ‘रणनीतिक गठजोड़’ करार। दिया, जो तालिबान के बाद चीन पर भी निशाना साध सकता है।