Donald Trump News / इजरायल-ईरान और कांगो-रवांडा के बाद अब ट्रंप ने किया गाजा 'युद्ध विराम' समझौते का आह्वान

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल-ईरान और कांगो-रवांडा में सीजफायर के बाद अब गाजा में युद्धविराम की अपील की है। ट्रंप ने हमास से समझौते और बंधकों की वापसी की मांग की। यह प्रयास 20 महीने से जारी युद्ध को समाप्त कर सकता है।

Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक मंच पर शांति के अग्रदूत बनकर उभरे हैं। इजरायल-ईरान और कांगो-रवांडा के बीच युद्धविराम में भूमिका निभाने के बाद, अब उन्होंने इजरायल और हमास के बीच 20 महीने से चले आ रहे खूनी संघर्ष को रोकने का आह्वान किया है। ट्रंप ने रविवार को गाजा में युद्धविराम वार्ता में तेजी लाने की अपील की और इसे “एक ऐतिहासिक क्षण” बताया।

गाजा में युद्ध समाप्ति की ओर कदम?

ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “गाजा में समझौता करें। बंधकों को वापस करो।” उन्होंने कहा कि अगर यह समझौता होता है, तो यह 20 महीने से जारी युद्ध को समाप्त कर सकता है। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक नई आशा जगाई है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की जल्द ही वॉशिंगटन यात्रा प्रस्तावित है, जिससे संकेत मिलता है कि एक नई संधि पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह यात्रा ट्रंप की मध्यस्थता के प्रयासों को मूर्त रूप दे सकती है।

युद्ध की पृष्ठभूमि

गाजा में युद्ध की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई, जब हमास ने इजरायल पर अचानक हमला करते हुए 5000 से अधिक रॉकेट दागे। इस हमले में करीब 1,200 इजरायली नागरिक मारे गए और लगभग 250 को बंधक बना लिया गया। जवाब में इजरायल ने गाजा पर व्यापक सैन्य कार्रवाई शुरू की जिसमें हवाई हमले, घेराबंदी और जमीनी अभियान शामिल थे।

विनाशकारी आंकड़े और मानवीय संकट

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक इस युद्ध में 56,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इनमें हमास के शीर्ष नेता जैसे इस्माइल हानिया, याह्या सिनवार और अन्य प्रमुख आतंकी शामिल हैं। युद्ध से गाजा में व्यापक मानवीय संकट पैदा हो गया है। अस्पताल, बिजली, पानी और भोजन की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।

वैश्विक मध्यस्थता और भविष्य की राह

अमेरिका, मिस्र, कतर और अन्य देश इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए लगातार मध्यस्थता कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार युद्धविराम की मांग की है, लेकिन राजनीतिक मतभेदों और रणनीतिक हितों के कारण प्रस्तावों पर या तो वीटो लग चुका है या वे असफल रहे हैं।