Reliance Russian Oil / रूसी तेल आयात पर अंबानी का बड़ा फैसला: सरकार की गाइडलाइन मानेगी रिलायंस

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने घोषणा की है कि वह रूसी तेल आयात को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार समायोजित करेगी। यह फैसला अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा रूस की तेल कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद आया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है।

रूस पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, भारत की सबसे बड़ी तेल आयातक। कंपनियों में से एक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह अपनी रूसी तेल। खरीद नीति को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार समायोजित करेगी। यह कदम भारत को एक संतुलित स्थिति में रखने में मदद करेगा, जिससे एक ओर रूस से सस्ते तेल की उपलब्धता बनी रहेगी, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन भी नहीं होगा। रिलायंस के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि "रूस से तेल आयात में बदलाव (recalibration) चल रहा है और रिलायंस सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पूरी तरह से तालमेल बिठाएगी। " यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने रूस पर यूक्रेन युद्ध से संबंधित नए और सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिका और यूरोप की नई पाबंदियां

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों - Lukoil और Rosneft - पर सीधे प्रतिबंध लगाए। यूरोपीय यूनियन ने भी रूस पर अपना 19वां सैंक्शन पैकेज मंजूर किया है, जिसमें रूसी लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) के आयात पर रोक शामिल है। ब्रिटेन ने भी पिछले हफ्ते इन्हीं दो कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा, "चूंकि राष्ट्रपति पुतिन इस बेवजह की जंग खत्म करने से इंकार कर रहे हैं, इसलिए हम रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर पाबंदी लगा रहे हैं, जो सीधे क्रेमलिन की युद्ध मशीन को फंड करती हैं। " उन्होंने सहयोगी देशों से भी इन सैंक्शनों का पालन करने की अपील की।

बाजार पर असर और तेल की कीमतें

इन नए प्रतिबंधों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तत्काल उछाल देखा गया। ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम दो डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा बढ़कर करीब $64 प्रति बैरल तक पहुंच गए। गुरुवार सुबह तक रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर ₹1,463. 85 पर कारोबार कर रहा था, जो ₹1. 30 नीचे था। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि उन्होंने पुतिन के साथ प्रस्तावित बैठक रद्द कर दी है और उम्मीद जताई कि इन सैंक्शनों को ज्यादा समय तक लागू नहीं रखना पड़ेगा।