दिल्ली / दिल्ली के अस्पताल में 69 वर्कर्स के 48% सैंपलों में मिला कोविड-19 का B1.617.2 वैरिएंट

Zoom News : May 27, 2021, 10:28 AM
नई दिल्ली: अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) के स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों में कोरोना (Corona) का B1.617.2 वैरियंट पाया गया है. कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने के बाद संक्रमित हुए 48% डॉक्टरों में कोरोना का B1.617.2 वैरियंट मिला है. दरअसल अपोलो अस्पताल में वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमित हुए 69 डॉक्टरों पर रिसर्च में यह बात सामने आई है. WHO ने कोरोना के B1.617.2 वैरियंट को लेकर चिंता जताई थी. स्टडी में यह बात भी सामने आई कि टीकाकरण से गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में मदद मिली है.

अध्ययन से यह भी पता चला कि टीका लगाने के बाद कोरोना के B1.617.2 वैरियंट से संक्रमित होने वालों जो लोग अस्पताल में भर्ती हुए उनको आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर की जरूरत 0.06% पड़ी, जो ना के बराबर है. अध्ययन में पता चला कि कोरोना की वैक्सीन कोरोना के B1.617.2 वैरियंट पर प्रभावी है.

…वैक्सीन की 2 डोज B1.617.2 वेरिएंट पर प्रभावी

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की दो डोज कोरोना के B1.617.2 वेरिएंट के संक्रमण को रोकने में 80 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है. यह जानकारी यूके सरकार के एक नए अध्ययन में कथित तौर पर सामने आई है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से कोविशील्ड के रूप में तैयार किया जा रहा है. इस समय यह वैक्सीन भारत में 18 साल से ऊपर के लोगों को लगाई जा रही है. कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच पहले चार से छह हफ्तों का अंतर था, फिर इसे छह से आठ या 12 हफ्ते किया गया, जबकि ब्रिटेन में इस अंतराल को कम किया गया.

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता की कोई खास जरूरत नहीं है और पहली खुराक के छह महीने के भीतर दूसरी खुराक प्रभावी रूप से फायदेमंद है. ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह 12 सप्ताह की अवधि को कम करके आठ सप्ताह कर दिया है और इसके पीछे वजह भारत में सामने आए कोरोना के स्वरूप ‘B.1.617.2’ के फैलने को बताया गया है.

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