Vladimir Putin News / पाकिस्तान के परमाणु हथियार दुनिया के लिए खतरा, वहां लोकतंत्र नहीं- पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 2001 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान को लेकर दिया गया एक बड़ा बयान अब सार्वजनिक हुआ है। पुतिन ने कहा था कि पाकिस्तान में लोकतंत्र नहीं है, सैन्य अधिकारी शासन करते हैं और उसके परमाणु हथियार दुनिया के लिए खतरा हैं। उन्होंने पश्चिमी देशों द्वारा पाकिस्तान की आलोचना न करने पर भी चिंता जताई थी।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का पाकिस्तान को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान 24 साल बाद सामने आया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सुरक्षा पर नई बहस छेड़ दी है। यह बयान 16 जून 2001 को स्लोवेनिया में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ उनकी मुलाकात के दौरान दिया गया था। इस गुप्त बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट अब सार्वजनिक किया गया है, जिसमें पुतिन ने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और उसके परमाणु शस्त्रागार को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की थीं।

पाकिस्तान में लोकतंत्र का अभाव

पुतिन ने अपनी बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा था कि पाकिस्तान में कोई लोकतंत्र नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एक ऐसा देश है जहां सैन्य अधिकारी शासन करते हैं, न कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार। यह टिप्पणी उस समय पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य हस्तक्षेप के इतिहास को दर्शाती है, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है। एक परमाणु शक्ति संपन्न देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की अनुपस्थिति को पुतिन ने एक गंभीर मुद्दा माना, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। रूसी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताया था।

यह बयान एक ऐसे समय में आया था जब परमाणु अप्रसार और क्षेत्रीय स्थिरता वैश्विक एजेंडे में शीर्ष पर थे। पुतिन की चिंता इस बात को लेकर थी कि एक अस्थिर और सैन्य-शासित देश के हाथों में परमाणु हथियार वैश्विक सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पश्चिमी देश अक्सर पाकिस्तान की इस स्थिति की आलोचना करने से बचते हैं, जो एक तरह के दोहरे मापदंड को दर्शाता है। यह टिप्पणी पश्चिमी देशों की पाकिस्तान के प्रति नीति पर सवाल उठाती है, खासकर जब वे अन्य देशों के परमाणु कार्यक्रमों पर कड़ा रुख अपनाते हैं।

ईरान का भी हुआ जिक्र

पुतिन और बुश के बीच हुई इस बातचीत में पाकिस्तान के अलावा ईरान का भी जिक्र हुआ था। पुतिन ने बुश से कहा था कि रूस का ईरान के साथ एक जटिल इतिहास रहा है और इतिहास को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इतिहास की जानकारी वर्तमान संबंधों को समझने और भविष्य की नीतियों को आकार देने के लिए आवश्यक है। पुतिन ने यह भी कहा कि वह ईरान को मिसाइल टेक्नोलॉजी देने पर रोक लगाएंगे, यह जानते हुए भी कि कुछ लोग इन क्षेत्रों में ईरान के साथ पैसा कमाना चाहते हैं और यह टिप्पणी रूस की ईरान के प्रति नीति में एक संतुलन साधने के प्रयास को दर्शाती है, जहां आर्थिक हितों और रणनीतिक चिंताओं के बीच सामंजस्य बिठाना होता है।

ईरान के साथ संबंधों पर बुश का रुख

बातचीत के दौरान पुतिन ने बुश से यह भी पूछा था कि क्या अमेरिका ईरान के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश कर रहा है। इस पर बुश ने स्पष्ट रूप से जवाब दिया था कि यह सच नहीं है। यह आदान-प्रदान उस समय ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उसके संबंधों को लेकर व्याप्त तनाव को दर्शाता है। अमेरिका और ईरान के बीच संबंध हमेशा से जटिल रहे हैं, और बुश का यह खंडन उस समय की अमेरिकी विदेश नीति की स्थिति को स्पष्ट करता है।

24 साल बाद ट्रांसक्रिप्ट का महत्व

इस ट्रांसक्रिप्ट का 24 साल बाद सार्वजनिक होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल उस समय के वैश्विक नेताओं की सोच और उनकी प्राथमिकताओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कुछ भू-राजनीतिक चिंताएं समय के साथ कितनी स्थायी रहती हैं। पाकिस्तान की स्थिरता, उसके परमाणु कार्यक्रम और ईरान के साथ संबंधों को लेकर व्यक्त की गई चिंताएं आज भी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। यह दस्तावेज ऐतिहासिक रिकॉर्ड के रूप में कार्य करता है, जो भविष्य के विश्लेषकों और नीति निर्माताओं के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।