देश / किसान आंदोलन का तीसरा दिन- अपनी मांगों पर अड़े अन्नदाता, जानिए अबतक की बड़ी बातें

Zoom News : Nov 28, 2020, 04:07 PM
नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान सबसे ज्यादा आक्रोषित नज़र आ रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे किसानों का शुक्रवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर प्रशासन से सामना हुआ, जिसमें भारी बवाल भी देखने को मिला। किसानों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया गया साथ ही आंसू गैस के गोले भी दागे गए। इतने हंगामे के बाद दिल्ली पुलिस ने आखिरकार किसानों को दिल्ली में एंट्री की इजाज़त दे दी। हालांकि अभी भी किसानों का एक गुट सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर जमा हुआ है और मांग कर रहा है कि सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे बॉर्डर पर आकर बात करे। साथ ही ये किसान रामलीला मैदान या जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति मांग रहे हैं।

सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों का प्रदर्शन

किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए शुक्रवार को सरकार ने उन्हें दिल्ली आने की अनुमति दी और बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन की जगह देने की बात कही थी। हालांकि पंजाब से दिल्ली जाने के प्रमुख रास्ते सिंघु बॉर्डर पर किसानों की आज हुई एक बैठक में फैसला लिया गया कि वे वहां से नहीं हटेंगे और प्रदर्शन जारी रखेंगे। एक किसान नेता ने कहा, "हम यहीं (सिंघु बॉर्डर) प्रदर्शन जारी रखेंगे। हम घर वापस नहीं जाएंगे। पंजाब और हरियाणा से हजारों किसान प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए हैं।"

इजाज़त के बाद से बुराड़ी मैदान पर जुट रहे किसान

अपनी मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलनकारी किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी आने दिया जाएगा। उन्हें उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में स्थित निरंकारी समागम ग्राउंड में प्रदर्शन की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से व्यवस्था बहाल रखने और शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अपील की। पुलिस की इजाज़त के बाद दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डरों को खोल दिया गया, जिसके बाद किसानों की दिल्ली में एंट्री हुई।

सरकार ने बातचीत का दिया प्रस्ताव

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि अपने सभी जायज मुद्दों के लिए केंद्र से सीधे बातचीत करें। आंदोलन इसका जरिया नहीं है, इसका हल बातचीत से ही निकलेगा। खट्टर के अलावा शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़ने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ मुद्दों पर हमेशा चर्चा के लिए तैयार है।

नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसान संगठनों से एक अन्य दौर की बातचीत के लिए उन्हें 3 दिसंबर को आमंत्रित किया है। इसके साथ ही, नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपील करते हुए कहा कि कोरोना महामारी और ठंड के चलते किसान प्रदर्शन छोड़ दें।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम पर साधा निशाना

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई सरकार सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को नहीं रोक सकती। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले कानूनों को वापस लेना होगा।

राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, “PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है। सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती। मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे। ये तो बस शुरुआत है।”

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