मुद्रा / अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष घटा सकता है भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ अनुमान

News18 : Dec 18, 2019, 11:08 AM
नई दिल्ली। International Monetary Fund (IMF) की तरफ से सरकार को नए साल में बुरी खबर मिल सकती है। IMF चीफ गीता गोपीनाथ ने कहा कि जनवरी में भारत की वृद्धि के अपने अनुमान में कमी कर सकता है। इससे पहले कई अन्य एजेंसियां भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं। भारत में जन्मी गोपीनाथ ने मुंबई में टाइम्स नेटवर्क द्वारा आयोजित इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्लेव (India Economic Conclave) में इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान ने इससे पहले अक्टूबर में अनुमान जारी किया था और जनवरी में इसकी समीक्षा करेगा।

गोपीनाथ ने कहा कि भारत में उपभोक्ता मांग और प्राइवेट सेक्टर में इन्वेस्टमेंट में आई कमी और और कमजोर पड़ता एक्सपोर्ट बिजनेस GDP वृद्धि में आई सुस्ती के लिए जिम्मेदार बताये जा रहे हैं। हैं। भारत की GDP वृद्धि दर सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में 6 साल के निचले स्तर 4।5 फीसदी पर पहुंच गई। रिजर्व बैंक और अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले कई अन्य एजेंसियों ने 2019-20 के लिए वृद्धि के अपने अनुमान की समीक्षा करते हुए इसे कम कर दिया है।

साल 2025 तक भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर संशय: गोपीनाथ 

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अक्टूबर में भारत की 2019 की आर्थिक वृद्धि दर को 6।1 फीसदी और 2020 में 7 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया। गोपीनाथ ने साल 2025 तक भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर भी संशय जताया। गोपीनाथ ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को पिछले 6 साल के 6 फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले बाजार मूल्य पर 10।5 फीसदी की GDP वृद्धि हासिल करनी होगी। स्थिर मूल्य के लिहाज से इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 8 से 9 फीसदी की वृद्धि हासिल करनी होगी।

कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का जिक्र

गोपीनाथ ने कहा कि किसी भी अर्थव्यवस्था को ऊंचा रखना अच्छा है। भारत इस दिशा में काफी कुछ कर भी रहा है। उन्होंने भारत की वित्तीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण बताते हुए चेताया कि राजकोषीय घाटा 3।4 फीसदी के दायरे से आगे निकल जाएगा। उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का जिक्र किया, लेकिन कहा कि इसके साथ ही राजस्व बढ़ाने के किसी उपाय की घोषणा नहीं की गई।

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