पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया द्वारा महाराणा प्रताप को लेकर दिए गए एक बयान ने राजस्थान के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कटारिया ने अपने संबोधन में कहा था कि अगर स्थानीय आदिवासी और भील समुदाय का सहयोग नहीं होता तो क्या महाराणा प्रताप युद्ध लड़ पाते। इस टिप्पणी के सामने आने के बाद से ही विभिन्न वर्गों में। तीव्र प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, जिससे यह मुद्दा गरमा गया है।
राज्यपाल कटारिया का विवादित बयान
22 दिसंबर को एक कार्यक्रम में बोलते हुए, राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा प्रताप के योगदान और उनकी पहचान को लेकर कुछ ऐसी बातें कहीं, जिन पर अब सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि महाराणा प्रताप का नाम कांग्रेस के शासनकाल में नहीं सुना जाता था, बल्कि जनता पार्टी ने पहली बार उन्हें 'जिंदा' करने का काम किया। कटारिया ने यह भी कहा कि जब पहली बार विधायक भूरा भाई एमएलए बनकर आए थे और पहली विधानसभा में सरकार बनी थी, तब गोगुंदा में विकास का पैसा भेजा गया था। उन्होंने हल्दीघाटी, पोखरगढ़ और चावंड जैसे ऐतिहासिक स्थलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये अब जाने जाते हैं, और मायरे की गुफा, उदय सिंह जी की छतरी जैसी जगहों पर सड़कें और रास्ते बनाए गए। उन्होंने अपनी सरकार के काम करने के तरीके को जनता के लिए बताया, यह कहते हुए कि वे पैसा सही जगह पहुंचाते हैं और 'टांका नहीं मारते'।
भील समुदाय के सहयोग पर टिप्पणी
अपने संबोधन के दौरान, गुलाबचंद कटारिया ने 'बाप पार्टी' पर भी निशाना साधा, यह कहते हुए कि जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते, वे यह बताएं कि महाराणा प्रताप की सेना में कैसे आए। इसके बाद उन्होंने वह टिप्पणी की जिसने सबसे अधिक विवाद खड़ा किया: “अगर स्थानीय? आदिवासी और भील समुदाय का सहयोग नहीं होता तो क्या महाराणा प्रताप युद्ध लड़ पाते? ” इस बयान ने महाराणा प्रताप के शौर्य और उनके संघर्ष में विभिन्न समुदायों की भूमिका को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गहरी नाराजगी फैल गई है।
पूर्व मंत्री खाचरियावास की प्रतिक्रिया
राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के बयान पर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “महाराणा प्रताप थे इसलिए आज हम हैं। ” खाचरियावास ने महाराणा प्रताप के बलिदान और स्वाभिमान को देश की वर्तमान अस्मिता का आधार बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महाराणा प्रताप ने कभी बादशाहों के सामने सिर नहीं झुकाया और किसी भी प्रकार के समझौते को स्वीकार नहीं किया। खाचरियावास ने महाराणा प्रताप को मातृभूमि की भक्ति का एक ऐसा अनुपम उदाहरण बताया जो आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देता है। उन्होंने महाराणा प्रताप को शूरवीर, स्वाभिमान के प्रतीक और क्षत्रिय कुल शिरोमणि बताते हुए उन्हें भारत के धर्म, संस्कृति, नीति, सिद्धांत, देशभक्ति और स्वाभिमान का प्रतीक करार दिया और खाचरियावास के अनुसार, महाराणा प्रताप की देशभक्ति से पूरी दुनिया प्रेरणा लेती है, और ऐसे में उनके योगदान को किसी एक समुदाय तक सीमित करना या उनके महत्व को कम आंकना अनुचित है।
क्षत्रिय करणी सेना की धमकी
राज्यपाल कटारिया के बयान पर केवल राजनीतिक हस्तियों ने ही नहीं, बल्कि सामाजिक संगठनों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। 'क्षत्रिय करणी सेना' के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने महाराणा प्रताप की विरासत को लेकर कटारिया की कथित टिप्पणी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच पर एक 'धमकी भरी' पोस्ट लिखी है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। इस तरह की प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि महाराणा प्रताप से जुड़ा कोई भी बयान, खासकर उनके शौर्य और योगदान पर, लोगों की भावनाओं को कितनी गहराई से प्रभावित करता है।
पुलिस जांच और आगे की स्थिति
उदयपुर के पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने इस मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि 'क्षत्रिय करणी सेना' के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत द्वारा। सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट की जांच की जा रही है। हालांकि, पुलिस अधीक्षक ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है और यह स्थिति मामले को और जटिल बनाती है, क्योंकि एक तरफ सार्वजनिक रूप से नाराजगी और धमकी दी जा रही है, वहीं दूसरी तरफ जिस व्यक्ति को निशाना बनाया गया है, उसने अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की है। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद क्या मोड़ लेता। है और क्या राज्यपाल कटारिया अपने बयान पर कोई स्पष्टीकरण देते हैं या नहीं।