Parliament Winter Session / लोकसभा में इस हफ्ते 'वंदे मातरम्' पर होगी विशेष चर्चा, पीएम मोदी भी लेंगे हिस्सा

लोकसभा में इस हफ्ते के अंत में राष्ट्रगान 'वंदे मातरम्' पर 10 घंटे की विशेष चर्चा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस महत्वपूर्ण चर्चा में हिस्सा लेंगे। यह चर्चा 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है, जो आजादी की लड़ाई में प्रेरणा का स्रोत रहा है।

इस हफ्ते के अंत में भारतीय संसद के निचले सदन, लोकसभा में राष्ट्रगान 'वंदे मातरम्' पर एक महत्वपूर्ण और विस्तृत चर्चा होने वाली है। सूत्रों के अनुसार, इस चर्चा के लिए कुल 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है, जो इस विषय की गंभीरता और व्यापकता को दर्शाता है और यह एक विशेष अवसर होगा जब देश के चुने हुए प्रतिनिधि इस ऐतिहासिक गीत के महत्व पर विचार-विमर्श करेंगे। इस चर्चा में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे,। जिससे इस कार्यक्रम का महत्व और भी बढ़ जाता है।

150 वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक अवसर

यह विशेष चर्चा 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है। यह गीत, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाखों लोगों को प्रेरित किया, अपनी रचना के डेढ़ शताब्दी पूरे कर चुका है और संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर विशेष चर्चा कराने की योजना है, ताकि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित किया जा सके। यह गीत न केवल एक धुन है, बल्कि यह भारतीय राष्ट्रवाद और देशभक्ति का एक सशक्त प्रतीक भी है, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संसदीय सहमति और तैयारी

इस महत्वपूर्ण चर्चा के आयोजन के लिए संसदीय स्तर पर व्यापक प्रयास किए गए हैं। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें इस प्रस्ताव पर सहमति बनाने की कोशिश की गई। इसके अतिरिक्त, लोकसभा और राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठकों में भी इस। विषय पर विचार-विमर्श हुआ, ताकि सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस तरह की चर्चाएं भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाती हैं, जहां महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रतीकों पर सदन में व्यापक विचार-विमर्श होता है।

बंकिम चंद्र चटर्जी की अमर रचना

'वंदे मातरम्' की रचना महान बंगाली साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी। यह गीत पहली बार 7 नवंबर 1875 को उनकी साहित्यिक पत्रिका 'बंगदर्शन' में प्रकाशित हुआ था। यह प्रकाशन भारतीय साहित्य और राष्ट्रवाद के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ और इस गीत ने जल्द ही पूरे देश में लोकप्रियता हासिल कर ली और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक युद्धघोष बन गया। इसकी धुन और बोल आज भी हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की भावना जगाते हैं।

देशव्यापी कार्यक्रम और सम्मान

पिछले महीने, जब 'वंदे मातरम्' ने अपनी रचना के 150 वर्ष पूरे किए, तब पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य इस गीत की विरासत को याद। करना और नई पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराना था। केंद्र सरकार ने इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया था। ये पहलें 'वंदे मातरम्' के प्रति राष्ट्र के सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाती हैं।

प्रधानमंत्री की अपील और भागीदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'वंदे मातरम्' को 'आजादी की अमर धरोहर' बताया है। उन्होंने युवाओं से इस गीत का गान करने और इसकी भावना को आत्मसात करने की अपील की है। लोकसभा में उनकी भागीदारी इस बात का संकेत है कि। सरकार इस चर्चा को कितनी गंभीरता से ले रही है। प्रधानमंत्री का मानना है कि यह गीत न केवल हमारे अतीत का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। इस चर्चा के माध्यम से, उम्मीद है कि 'वंदे मातरम्' के संदेश और महत्व को और अधिक। गहराई से समझा जा सकेगा और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।