Jharkhand News / झारखंड हाईकोर्ट से राहुल गांधी को झटका- केस खत्म कराने की याचिका खारिज

Zoom News : Feb 23, 2024, 03:20 PM
Jharkhand News: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है. मानहानि मामले में उनकी याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. ये गृह मंत्री अमित शाह पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने से जुड़ा मामला है. राहुल गांधी निचली अदालत की ओर से जारी किए गए समन के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए उसे खारिज कर दिया.

पिछले महीन झारखंड हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के रिकॉर्ड मांगे थे. याचिका में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ गांधी की कथित अपमानजनक टिप्पणी पर बीजेपी के एक कार्यकर्ता द्वारा दायर मानहानि मामले में रांची जिला कोर्ट की ओर से पारित आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी.

साल 2018 में दायर की गई थी शिकायत

बीजेपी नेता नवीन झा ने 28 अप्रैल, 2018 को रांची कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि 18 मार्च 2018 को कांग्रेस के प्लेनरी सेशन में राहुल गांधी ने बीजेपी के खिलाफ भाषण दिया था और शाह को हत्या का आरोपी बताया था. शिकायत में कहा गया था कि गांधी द्वारा दिया गया बयान न केवल झूठा था बल्कि यह उन सभी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और नेताओं का अपमान है जो भारतीय जनता पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं.

इसके बाद रांची की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने झा की शिकायत को खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने रांची के न्यायिक आयुक्त के सामने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. रांची न्यायिक आयुक्त ने 15 सितंबर, 2018 को पुनरीक्षण याचिका की अनुमति दे दी थी.

राहुल गांधी ने क्या दिया था कोर्ट में जवाब?

इसके बाद मजिस्ट्रेट को रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की फिर से जांच करने और एक नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया. नतीजतन, मजिस्ट्रेट ने 28 नवंबर, 2018 को संज्ञान लिया और समन जारी किया. इसके बाद राहुल गांधी ने 15 सितंबर 2018 को रांची न्यायिक आयुक्त द्वारा जारी पुनरीक्षण आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. 16 मई, 2023 को जस्टिस अंबुज नाथ की एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता को मामले में पीड़ित व्यक्ति नहीं माना जा सकता है.

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