Sudan Civil War / सूडान गृह युद्ध: यूएई पर लगा रैपिड फोर्स को हथियार देने का आरोप, सऊदी की चाल से बढ़ेगी मुसीबत

सूडान सरकार ने यूएई पर रैपिड फोर्स को हथियार मुहैया कराने का आरोप लगाया है, जिसके बदले में उसे तस्करी का सोना मिलता है। सूडान ने यूएई के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मुकदमा भी दायर किया है। अब सऊदी अरब ने अमेरिका को इस संघर्ष में शामिल कर यूएई की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिससे रैपिड फोर्स और यूएई का प्रभाव सीमित हो सकता है।

सूडान में जारी गृह युद्ध एक जटिल और विनाशकारी संघर्ष है,। जिसमें सूडान की आधिकारिक सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) आमने-सामने हैं। यह संघर्ष देश को गहरे संकट में धकेल रहा है, और इस बीच संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वह इस युद्ध में एक प्रमुख पक्ष को परोक्ष रूप से समर्थन दे रहा है। सूडान सरकार का स्पष्ट आरोप है कि यूएई, रैपिड फोर्स को लगातार हथियार मुहैया करा रहा है, जिससे संघर्ष और भड़क रहा है।

हथियारों की आपूर्ति और सोने की तस्करी

सूडान सरकार के अनुसार, यूएई रैपिड फोर्स को हथियार उपलब्ध कराकर बदले में तस्करी के जरिए सोना प्राप्त कर रहा है। यह एक ऐसा आरोप है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंताएं पैदा करता है। सूडान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 में रैपिड फोर्स को अनुमानित 150 अरब दिरहम मूल्य के हथियार मिले थे, और इन हथियारों की आपूर्ति का आरोप सीधे तौर पर यूएई पर लगाया गया है। हालांकि, संयुक्त अरब अमीरात ने इन आरोपों से पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन कई ऐसे सबूत सामने आए हैं जिनका संतोषजनक जवाब यूएई की ओर से नहीं दिया गया है। यह स्थिति यूएई की भूमिका पर संदेह को और गहरा करती है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा

इन गंभीर आरोपों के मद्देनजर, सूडान ने यूएई के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा भी दाखिल करवाया है। यह कदम सूडान सरकार की ओर से यूएई पर दबाव बनाने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित करने का एक प्रयास है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इस तरह का मुकदमा किसी देश के लिए गंभीर राजनयिक और कानूनी परिणाम ला सकता है। सूडान का मानना है कि यूएई की कथित संलिप्तता ने उनके देश में मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है, और वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

यूएई की भूमिका और वैश्विक हथियार व्यापार

रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूएई दुनिया के बड़े देशों से हथियार खरीदता है और फिर उन्हें सूडान के रैपिड फोर्स को मुहैया कराता है। यह एक जटिल नेटवर्क को दर्शाता है जहां अंतर्राष्ट्रीय हथियार व्यापार का दुरुपयोग एक आंतरिक संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। इन्हीं हथियारों के सहारे रैपिड फोर्स के लड़ाके सूडान में बड़े पैमाने पर तबाही मचा रहे हैं, जिससे लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। यूएई की इस कथित भूमिका पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर। से अधिक जांच और पारदर्शिता की मांग की जा रही है।

सोने के खनन और सत्ता संघर्ष का संबंध

सूडान सोने के समृद्ध भंडारों वाला देश है, और यही सोने के खादान वहां के सत्ता संघर्ष का एक प्रमुख कारण भी रहे हैं। सोने पर नियंत्रण के लिए विभिन्न गुटों के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं। यूएई की नजर सूडान के इसी सोने पर है, जो तस्करी के जरिए उसके देश में आता है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में तस्करी के सोने। के माध्यम से यूएई को लगभग 7 अरब डॉलर का भारी मुनाफा हुआ। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सोने की तस्करी यूएई के लिए एक बड़ा आर्थिक प्रोत्साहन है, जो उसे सूडान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

सऊदी अरब की नई रणनीति और अमेरिकी हस्तक्षेप

हालिया घटनाक्रम में, सऊदी अरब ने सूडान के गृह युद्ध में अमेरिका की एंट्री कराकर यूएई के साथ एक नया खेल कर दिया है और सऊदी अरब, जो क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति है, ने संभवतः इस कदम से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करने और यूएई के प्रभाव को कम करने का प्रयास किया है। अमेरिका का इस संघर्ष में शामिल होना, विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के संदर्भ में, रैपिड फोर्स के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। डोनाल्ड ट्रंप की एंट्री से रैपिड फोर्स की स्थिति कमजोर हो सकती। है, क्योंकि अमेरिकी हस्तक्षेप अक्सर सैन्य और आर्थिक दबाव के साथ आता है। ऐसे में, रैपिड फोर्स को मिलने वाला समर्थन और उनकी गतिविधियों पर अंकुश लग सकता है और इसका सीधा असर यूएई पर पड़ेगा, क्योंकि रैपिड फोर्स की कमजोर स्थिति से उसे मिलने वाले तस्करी के सोने की मात्रा में कमी आ सकती है और सूडान में उसका राजनीतिक व आर्थिक दायरा भी सिमट जाएगा। यह घटनाक्रम क्षेत्रीय भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जहां सूडान का गृह युद्ध अब केवल आंतरिक मामला नहीं रह गया है, बल्कि इसमें कई क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियां शामिल हो गई हैं।