Zoom News : Dec 21, 2020, 11:46 AM
पिथौरागढ़. कुछ कर गुजरने के लिए जुनूनी होना जरूरी है. ऐसा ही जुनून देखने को मिला है, दिल्ली (Delhi) के अंश (Ansh) में. अंश बीते दो सालों से देश के कोने-कोने में जाकर यातायात के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं. आलम ये है कि पहाड़ी खतरनाक सफर हो या फिर मैदानी रास्ता, अंश का सफर दो सालों से थमा नहीं है. हेलमेट (Helmet) के साथ ही य़ातायात के नियमों का पालन कैसे आपकी जिंदगी बचा सकता हैं, ये अंश बखूबी समझते हैं और लोगों को समझा भी रहे हैं.
2 अक्टूबर 2018 से अंश ने ये मुहिम दिल्ली से शुरू की है, जो दो साल गुजरने पर भी जारी है. एक मोटर साईकिल से अंश अपने सफर पर निकले हैं. इन दो सालों में उन्होनें 1 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर लिया है. इन दो सालों ये जुनूनी शख्स लोगों को हर कीमत पर यातायात के नियमों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है. जुनूनी युवक अंश का कहना है कि वे चाहते हैं कि देश में सड़क हादसें बंद जाए, सड़क हादसों की वजह वे यातायात नियमों का पालन नहीं होना बताते हैं. साथ ही कहते हैं कि लोग अगर सौ फीसदी यातायात के नियमों का पालन करेंगे तो तय है कि वे अपनी जिंदगी के साथ अन्यों को भी बचाएंगे.
अंश का टारगेट पूरे देश के सभी जिलों तक अपनी मुहिम को पहुंचाना है. फिलहाल अंश दिल्ली और यूपी का सफर पूरा कर चुके हैं. जबकि उत्तराखंड में उनका सफर अंतिम दौर में है. उत्तराखंड के बाद ये हिमाचल की राह पकड़ेंगे. सफर के दौरान अपना खर्चा निकालने के लिए अंश ऑनलाइन काम भी करते हैं. उत्तराखंड में अपनी यात्रा के दौरान इन्होनें उच्च हिमालयी इलाकों का भी सफर तय किया है. ट्रैफिक रूल को लेकर अलख जगाने के दौरान अंश लोगों के लिए एक न्यूक्लियस का काम भी कर रहे हैं. जिन इलाकों में भी ये जाते हैं वहां खास काम करने वालों को एक सूत्र में पिरौते हैं, ताकि भविष्य में आयोजित होने वाले जागरूकता अभियानों को आसानी से संचालित किया जा सके.
2 अक्टूबर 2018 से अंश ने ये मुहिम दिल्ली से शुरू की है, जो दो साल गुजरने पर भी जारी है. एक मोटर साईकिल से अंश अपने सफर पर निकले हैं. इन दो सालों में उन्होनें 1 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर लिया है. इन दो सालों ये जुनूनी शख्स लोगों को हर कीमत पर यातायात के नियमों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है. जुनूनी युवक अंश का कहना है कि वे चाहते हैं कि देश में सड़क हादसें बंद जाए, सड़क हादसों की वजह वे यातायात नियमों का पालन नहीं होना बताते हैं. साथ ही कहते हैं कि लोग अगर सौ फीसदी यातायात के नियमों का पालन करेंगे तो तय है कि वे अपनी जिंदगी के साथ अन्यों को भी बचाएंगे.
अंश का टारगेट पूरे देश के सभी जिलों तक अपनी मुहिम को पहुंचाना है. फिलहाल अंश दिल्ली और यूपी का सफर पूरा कर चुके हैं. जबकि उत्तराखंड में उनका सफर अंतिम दौर में है. उत्तराखंड के बाद ये हिमाचल की राह पकड़ेंगे. सफर के दौरान अपना खर्चा निकालने के लिए अंश ऑनलाइन काम भी करते हैं. उत्तराखंड में अपनी यात्रा के दौरान इन्होनें उच्च हिमालयी इलाकों का भी सफर तय किया है. ट्रैफिक रूल को लेकर अलख जगाने के दौरान अंश लोगों के लिए एक न्यूक्लियस का काम भी कर रहे हैं. जिन इलाकों में भी ये जाते हैं वहां खास काम करने वालों को एक सूत्र में पिरौते हैं, ताकि भविष्य में आयोजित होने वाले जागरूकता अभियानों को आसानी से संचालित किया जा सके.