बॉलीवुड / 'सरदार उधम' फिल्म में मेरे चेहरे पर चोट का निशान असली है, मुझे लगे थे 13 टांके: विक्की कौशल

Zoom News : Oct 01, 2021, 07:41 AM
Sardar Udham Trailer: विकी कौशल (Vicky Kaushal) की फिल्‍म 'सरदार उधम' का ट्रेलर (Sardar Udham Trailer) गुरुवार को रिलीज हो गया है। सरदार उधम सिंह के इस बायॉपिक के ट्रेलर में विकी न सिर्फ जबरदस्‍त दिख रहे हैं, बल्‍क‍ि ऐसा लग रहा है कि वह 'उरी: द सर्जिकल स्‍ट्राइक' के बाद एक और धमाका करने की तैयारी में हैं। फिल्‍म में विकी कौशल लीड रोल में हैं, जबकि डायरेक्‍शन शूजित सिरकार (Shoojit Sircar) का है। उधम सिंह हिंदुस्‍तान के इतिहास में ऐसे क्रांतिकारी हुए जो जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए लंदन पहुंच गए थे। गुरुवार को फिल्‍म के ट्रेलर रिलीज इवेंट पर विकी कौशल ने एक दिलचस्‍प खुलासा किया। उन्‍होंने बताया कि शूट से पहले ही वह बुरी तरह चोटिल हो गए थे और उन्‍हें 13 टांके (13 Facial Stitches) लगे थे।

शूटिंग शुरू होने से पहले हो गए थे चोटिल

विकी कौशल से पूछा गया था कि क्‍या वह शूट‍िंग के दौरान घायल भी हुए थे? इसके जवाब में विकी कौशल ने बताया कि 'सरदार उधम' की शूटिंग से चार दिन पहले वह किसी अन्‍य फिल्‍म की शूटिंग के दौरान बुरी तरह घायल हो गए थे और उनके चेहरे पर 13 टांके लगाए गए थे। विकी कहते हैं, 'मेरी गाल पर 13 टांके लगे हुए थे। मैंने अपनी फोटो ली और शूजि‍त दा को भेज दी, क्‍योंकि चार दिन हमें सरदार उधम की शूटिंग शुरू करनी थी।'

शूजित सरकार ने फोटो देख दिया ये जवाब

विकी बताते हैं कि फोटो देखकर शूजित सिरकार ने उनसे कहा, 'कोई बात नहीं टांके लेकर आ जाओ।' विकी कौशल ने बताया कि ट्रेलर में भी उनके चेहरे पर जो चोट के निशान दिख रहे हैं वो किसी और फिल्‍म की शूटिंग के हैं। ऐक्‍टर ने बताया कि फिल्‍म में उनके कई सारे लुक हैं, जिनके बारे में जल्‍द ही लोगों को जानकारी मिल जाएगी।

कौन थे सरदार उधम सिंह

फिल्‍म सरदार उधम सिंह की बायॉपिक है, जिनका जन्‍म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। उधम सिंह के सामने ही 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। बताया जाता है कि उधम सिंह ने तभी जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर जनरल डायर और तत्कालीन पंजाब के गर्वनर माइकल ओ’ ड्वायर को सबक सिखाने की कसम खा ली थी। वह क्रांतिकारियों के दल में शामिल हो गए। वह बदला लेने के लिए लंदन चले गए थे। वहां उन्‍होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।

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