देश / शादी का वादा करके किसी महिला के साथ सेक्स करना, रेप माना जाएगा या नहीं? हाईकोर्ट ने दिया जबाव

Zoom News : Apr 03, 2021, 04:44 PM
Delhi: शादी का वादा करके लंबे समय तक किसी महिला के साथ सेक्स करना, रेप माना जाएगा या नहीं? कानून में इस बात को और ज्यादा साफ करने की जरूरत है। ये बात कही है ओडिशा हाईकोर्ट ने। हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसके पाणिग्रही ने कहा कि कानून में अभी साफ-साफ नहीं, इस वजह से मौजूदा हालात में शादी के वादे पर लंबे समय तक सेक्स करने के मामले में आरोपी को सजा नहीं मिल पाती। एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने कहा, "मौजूदा हालातों में, इस मामले पर कानून में आरोपियों की सजा को लेकर कुछ साफ नहीं है। इस वजह से कई मामलों में आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती।" उन्होंने कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द से कानून में संशोधन किए जाने की जरूरत है।

जस्टिस पाणिग्रही ने कहा, "शादी का वादा करके बलात्कार करने वाला कानून गलत दिखाई पड़ता है। हालांकि, पीड़िता की दुर्दशा और आरोपी की जमानत के सवाल पर विचार-विमर्श करते वक्त पीड़िता और उसके परिवार की गरिमा का ध्यान रखने की जरूरत है।"

दरअसल, शादी का झूठा वादा करके लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने के आरोप में जेल में बंद युवक ने जमानत याचिका दाखिल की थी। उस पर आरोप है कि उसने एक महिला के साथ शादी का वादा कर लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन बनाए। उसे दो बार प्रेग्नेंट भी किया और बाद में दवाइयां देकर एबॉर्शन भी करवा दिया। बाद में युवक ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद जब महिला की शादी कहीं और जगह तय हो गई, तो उसने सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर पर्सनल फोटो शेयर कर दीं। इस मामले में युवक को गिरफ्तार कर लिया गया और पिछले साल 27 जून को जेल भेज दिया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस पाणिग्रही ने कहा, "आईपीसी की धारा-375 (रेप) में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में महिला के साथ बनाए गए संबंध को रेप माना जाएगा, लेकिन शादी का वादा करके लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने वाली स्थिति धारा-375 में नहीं है। लिहाजा, धारा-375 के तहत सहमति के प्रभाव को तय करने के लिए आईपीसी की धारा-90 के प्रावधानों को गंभीर रूप से देखे जाने की जरूरत है।" उन्होंने ये भी कहा कि बलात्कार कानूनों का इस्तेमाल इंटिमेट रिलेशन को रेगुलेट करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से रिश्ते में जाती हैं।

जस्टिस पाणिग्रही ने आगे कहा कि समाज और ग्रामीण इलाकों के सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचित तबकों से कई शिकायतें आती हैं। इन वर्गों की महिलाओं को अक्सर शादी के झूठे वादे का लालच देकर पुरुष सेक्स करते हैं और गर्भवती होने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है। हाईकोर्ट ने पाया कि बलात्कार कानून ज्यादातर सामाजिक रूप से पिछड़ी और गरीब महिलाओं के साथ न्याय नहीं करते, जो शादी के झूठे वादे में आकर फिजिकल रिलेशन बनाने के झांसे में फंस जाती हैं।

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