Politics News: फडणवीस समेत 4 ब्राह्मण, पर एक भी दलित नहीं.. कौन हैं देश के 30 मुख्यमंत्री

Politics News - फडणवीस समेत 4 ब्राह्मण, पर एक भी दलित नहीं.. कौन हैं देश के 30 मुख्यमंत्री
| Updated on: 04-Dec-2024 08:55 PM IST
Politics News: भारत में राजनीति और जाति का गहरा संबंध है। हाल के वर्षों में, मुख्यमंत्रियों की जातिगत पृष्ठभूमि ने सियासी विमर्श का केंद्र बना दिया है। जाति, धर्म, और समुदाय के आधार पर मुख्यमंत्रियों का चयन न केवल क्षेत्रीय समीकरणों को साधता है, बल्कि इसके जरिए राजनीतिक दल सामाजिक संदेश देने की भी कोशिश करते हैं।

ब्राह्मण समुदाय का बढ़ता प्रभाव

ब्राह्मण समुदाय, जिसकी भारत की कुल आबादी में लगभग 5% हिस्सेदारी है, ने मुख्यमंत्री पद पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। वर्तमान में देश में चार मुख्यमंत्री ब्राह्मण समुदाय से हैं:

  • देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र)
  • हिमंत बिस्वा सरमा (असम)
  • ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल)
  • भजनलाल शर्मा (राजस्थान)
यह संख्या ठाकुर और ओबीसी मुख्यमंत्रियों के बाद तीसरे स्थान पर है। ब्राह्मण समुदाय का यह वर्चस्व सामाजिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

दलित समुदाय का अभाव

देश की लगभग 18% आबादी वाले दलित समुदाय का मुख्यमंत्री पद पर न होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। पंजाब के चरणजीत सिंह चन्नी 2022 तक देश के अकेले दलित मुख्यमंत्री थे। वर्तमान में किसी भी राज्य में दलित मुख्यमंत्री नहीं है, हालांकि कुछ राज्यों में दलित डिप्टी सीएम जरूर हैं।

आदिवासी मुख्यमंत्रियों की बढ़त

लगभग 9% जनसंख्या वाले आदिवासी समुदाय से वर्तमान में चार मुख्यमंत्री हैं:

  • हेमंत सोरेन (झारखंड)
  • नेफ्यू रियो (नगालैंड)
  • मोहन माझी (ओडिशा)
  • विष्णुदेव साय (छत्तीसगढ़)
लंबे समय बाद आदिवासी नेताओं को मुख्यमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व मिला है, जो क्षेत्रीय दलों और आदिवासी मुद्दों पर फोकस का नतीजा है।

ठाकुर समुदाय का वर्चस्व

पांच राज्यों में ठाकुर समुदाय के मुख्यमंत्री हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश)
  • पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड)
  • सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश)
  • एन बीरेन सिंह (मणिपुर)
  • आतिशी (दिल्ली)

ओबीसी नेताओं का प्रभुत्व

भारत में लगभग 7 मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से आते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • नीतीश कुमार (बिहार)
  • भूपेंद्र पटेल (गुजरात)
  • सिद्धारमैया (कर्नाटक)
  • एन रंगास्वामी (पुडुचेरी)
  • माणिक साहा (त्रिपुरा)
ओबीसी समुदाय से मुख्यमंत्रियों की अधिक संख्या राजनीतिक दलों के इस समुदाय को प्राथमिकता देने की ओर इशारा करती है।

अल्पसंख्यक और अन्य वर्गों का योगदान

अल्पसंख्यक समुदाय से भी कुछ मुख्यमंत्री हैं:

  • उमर अब्दुल्ला (जम्मू और कश्मीर, मुस्लिम)
  • भगवंत मान (पंजाब, सिख)
  • कोनराड संगमा (मेघालय, ईसाई)
इसके अलावा, बौद्ध धर्म से संबंध रखने वाले पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश) और प्रेम सिंह तमांग (सिक्किम) भी मुख्यमंत्री हैं।

जाति व्यवस्था से अलग दृष्टिकोण

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन खुद को नास्तिक और जाति व्यवस्था का विरोधी बताते हैं। यह दर्शाता है कि भारत के कुछ हिस्सों में जाति के पार जाकर भी नेतृत्व को स्वीकृति मिल रही है।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्रियों की जातिगत तस्वीर भारतीय राजनीति के गहरे सामाजिक-आर्थिक जटिलताओं को दर्शाती है। यह आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि भले ही जाति राजनीति का अहम हिस्सा बनी हुई है, लेकिन कुछ अपवाद इसे चुनौती भी दे रहे हैं। आने वाले वर्षों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन समीकरणों में कोई बड़ा बदलाव आएगा, या फिर जाति और समुदाय राजनीति के केंद्र में बने रहेंगे।

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