इंडिया: चंद्रमा की ओर चंद कदम और...आज लैंडर विक्रम को चांद के पास लाने की कोशिश, कल से उतारने की होगी तैयारी

इंडिया - चंद्रमा की ओर चंद कदम और...आज लैंडर विक्रम को चांद के पास लाने की कोशिश, कल से उतारने की होगी तैयारी
| Updated on: 03-Sep-2019 06:42 AM IST
देश का दूसरा महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 चांद के बेहद पास पहुंच गया है। सोमवार को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम कामयाबी के साथ अलग हो गया। इस अलगाव के बाद अब विक्रम की चांद के दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में उतरने की प्रक्रिया शुरू होगी। माना जा रहा है कि विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर अब से पांचवें दिन यानी 7 सितंबर को अलसुबह से पहले करीब 1:55 बजे अपना कदम रखेगा।

इसरो ने बताया, अलग होने के बाद विक्रम इस वक्त चंद्रमा की 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। यहां से विक्रम अपने भीतर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा। फिलहाल, ऑर्बिटर और विक्रम की सभी प्रणाली दुरुस्त हैं और ठीक ढंग से काम कर रहे हैं।

इसरो के वैज्ञानिक विक्रम को मंगलवार सुबह 8:45 से 9:45 बजे के बीच नीचे लाने की कोशिश करेंगे, ताकि, उसेे चांद के बेहद करीब वाली कक्षा 36 गुणा 100 किमी के दायरे में लाया जा सके। इसके बाद चार सितंबर को उसे चांद की सतह पर उतारने के लिए तैयार किया जाएगा। इसके बाद अगले तीन दिनों तक विक्रम चांद के सबसे निकटवर्ती इस कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। इसके बाद सतह पर उतरने की प्रक्रिया शुरू होगी।

वहीं, चंद्रयान-2 का आर्बिटर उसी कक्षा में चक्कर लगा रहा है, जिसमें वह रविवार को दाखिल हुआ था। इससे पहले चंद्रयान-2 ने चांद की पांचवीं और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 की कामयाबी के 11 साल बाद चंद्रयान-2 मिशन चांद छूने चला है। चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम-1 बाहुबली रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था।

मायके से ससुराल जाने जैसा

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने विक्रम के अलगाव को मायके से ससुराल के लिए रवाना होने जैसा बताया है। बताया जा रहा है कि विक्रम के अलग होने के लिए जो वक्त तय किया गया था, उसी समय पर यह अलगाव हुआ। अलगाव की प्रक्रिया में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जैसे लड़ाकू विमान में खराबी आने के बाद कोई पायलट अपनी जान बचाने के लिए इजेक्ट होने के लिए करते हैं।

ऑर्बिटर प्रयोगों को देगा अंजाम

इसरो के मुताबिक, विक्रम के अलगाव की प्रक्रिया को कामयाब बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने धरती से उस पर पूरी तरह काबू बनाए रखा। अलगाव के बाद ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए कई प्रयोगों को अंजाम देगा। वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यान के आर्बिटर को भी नियंत्रित करने की होगी। एक साथ आर्बिटर और विक्रम की सटीकता के लिए काम करते रहना होगा। 

इसरो ने कुशीनगर, बस्ती के छात्रोें का जताया आभार

इसरो ने 15 अगस्त और रक्षा बंधन के मौके पर उसे भेजे गए हाथों से बनाई हुई ग्रीटिंग को लेकर आभार जताया है। इसरो ने ग्रीटिंग की तस्वीरें ट्विटर पर पोस्ट करते हुए कहा, हम केंद्रीय विद्यालयों के बच्चों की ऐसी कोशिशों से बेहद प्रभावित हैं। जिन छात्रों ने ये ग्रीटिंग भेजी है, उनमें असम के नगांव स्कूल, यूपी के बस्ती और कुशीनगर के केंद्रीय विद्यालयों के छात्र भी हैं।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।