US Fraud: अमेरिका में 4000 करोड़ की धोखाधड़ी, भारतीय मूल के CEO बंकिम ब्रह्मभट्ट पर आरोप

US Fraud - अमेरिका में 4000 करोड़ की धोखाधड़ी, भारतीय मूल के CEO बंकिम ब्रह्मभट्ट पर आरोप
| Updated on: 01-Nov-2025 09:33 AM IST
अमेरिका में लगभग 4000 करोड़ रुपये (50 करोड़ डॉलर) की एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसने वित्तीय जगत में हलचल मचा दी है और इस विवाद के केंद्र में भारतीय मूल के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट हैं, जिन पर अपनी कंपनियों, ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला अमेरिकी दूरसंचार क्षेत्र में काम करने वाली उनकी कंपनियों से जुड़ा है और। इसमें दुनिया की कुछ सबसे बड़ी निवेश फर्मों और बैंकों की संलिप्तता भी सामने आई है।

मामले की जड़ें: 4000 करोड़ का घोटाला

यह पूरा मामला 50 करोड़ डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में। लगभग 4,000 करोड़ रुपये के कथित वित्तीय घोटाले से संबंधित है। बंकिम ब्रह्मभट्ट अमेरिका में ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस नामक कंपनियों के मालिक हैं, जो दूरसंचार क्षेत्र में सक्रिय हैं और वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के अनुसार, इन कंपनियों पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं, जिससे बड़े ऋणदाता अब अपने फंसे हुए करोड़ों डॉलर वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। यह राशि इतनी बड़ी है कि इसने अमेरिकी वित्तीय बाजारों में भी चिंता पैदा कर दी है।

ब्लैकरॉक और अन्य ऋणदाताओं का दावा

दुनिया की सबसे बड़ी निवेश फर्मों में से एक, ब्लैकरॉक इंक. की एक इकाई और कुछ अन्य प्रमुख ऋणदाताओं ने इस मामले में अगस्त में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दावा किया है कि बंकिम ब्रह्मभट्ट की कंपनियों पर उनका 50 करोड़ डॉलर से अधिक का बकाया है। यह मुकदमा इन ऋणदाताओं द्वारा अपनी निवेशित राशि की वसूली के प्रयास का हिस्सा है, जो दर्शाता है कि इस कथित धोखाधड़ी का पैमाना कितना बड़ा है और इसमें कितने बड़े वित्तीय खिलाड़ी शामिल हैं।

बीएनपी परिबास की भूमिका

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सौदे में फ्रांस के एक बड़े बैंक, बीएनपी परिबास ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बताया जा रहा है कि इस बैंक ने ब्लैकरॉक की सहयोगी इकाई एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स को बंकिम ब्रह्मभट्ट के डेब्ट फाइनेंसिंग में मदद की थी। हालांकि, बीएनपी परिबास ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, जिससे इस पूरे प्रकरण की जटिलता और भी बढ़ जाती है। बैंक की चुप्पी से मामले में और अधिक रहस्य जुड़ गया है।

एसेट-बेस्ड फाइनेंसिंग (ABF) का पेचीदा जाल

यह पूरा विवाद एसेट-बेस्ड फाइनेंसिंग (Asset-Based Financing) नामक एक विशेष प्रकार के ऋण सौदे से जुड़ा है। इस प्रणाली में, कंपनियां अपने व्यवसाय से होने वाले निश्चित राजस्व, उपकरणों या ग्राहकों से प्राप्त होने वाली रकम को संपार्श्विक (collateral) के रूप में रखकर ऋण प्राप्त करती हैं। आमतौर पर, इस तरीके को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि उधार देने वाली संस्था के पास एक वास्तविक संपत्ति के रूप में गारंटी होती है। हालांकि, हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है, और इसके साथ ही धोखाधड़ी और वित्तीय घाटों की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं, जैसा कि इस मामले में देखा जा रहा है। बंकिम ब्रह्मभट्ट ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है। उनके वकील का स्पष्ट कहना है कि यह मामला किसी भी तरह की धोखाधड़ी या जानबूझकर की गई गड़बड़ी का नहीं है, बल्कि यह केवल व्यावसायिक असहमति का एक मामला है। यह बचाव पक्ष की रणनीति है, जहां वे आरोपों की गंभीरता को कम करने का प्रयास कर रहे हैं और इसे एक सामान्य व्यापारिक विवाद के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

मामले की व्यापकता और नियामक चिंताएं

यह मामला कई कारणों से खास है और व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें दुनिया की सबसे बड़ी निवेश कंपनी ब्लैकरॉक, फ्रांस का एक प्रमुख बैंक बीएनपी परिबास और एक भारतीय मूल का उद्यमी शामिल हैं। यह घटना अमेरिकी ऋण बाजार के उस हिस्से पर भी सवाल खड़े करती है, जो अब तक काफी हद तक नियामक निगरानी से बाहर रहा है। इस मामले से यह भी पता चलता है कि कैसे वित्तीय प्रणालियों में खामियां बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का कारण बन सकती हैं, और यह भविष्य में ऐसे लेनदेन के लिए अधिक सख्त नियामक उपायों की आवश्यकता पर जोर देता है। फिलहाल, यह मामला अमेरिकी अदालत में विचाराधीन है और जांच जारी है। इस मामले का परिणाम अमेरिकी वित्तीय बाजार और एसेट-बेस्ड फाइनेंसिंग के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रख सकता है।

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