Amit Shah News: शाह का विपक्ष पर पलटवार 'नेहरू राज में 3 और कांग्रेस राज में 11 बार SIR हुआ, हम इतिहास बताते हैं तो ये नाराज हो जाते है'

Amit Shah News - शाह का विपक्ष पर पलटवार 'नेहरू राज में 3 और कांग्रेस राज में 11 बार SIR हुआ, हम इतिहास बताते हैं तो ये नाराज हो जाते है'
| Updated on: 10-Dec-2025 05:51 PM IST
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के आरोपों पर तीखा पलटवार किया और उन्होंने एसआईआर (Special Summary Revision) यानी मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर 'झूठ फैलाने' का आरोप लगाया। शाह ने जोर देकर कहा कि जब भी इतिहास के तथ्यों का जिक्र किया जाता है, तो विपक्ष नाराज हो जाता है, जबकि एसआईआर की प्रक्रिया कोई नई नहीं है और इसका एक लंबा इतिहास रहा है।

एसआईआर का ऐतिहासिक संदर्भ

अमित शाह ने अपने संबोधन में एसआईआर के ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया पहली बार 1952 में हुई थी, जब जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। इसके बाद 1957 और 1961 में भी एसआईआर किया गया और शाह ने आंकड़ों के साथ यह भी बताया कि कांग्रेस के शासनकाल के दौरान कुल 11 बार एसआईआर की प्रक्रिया पूरी की गई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रक्रिया दशकों से चली आ। रही है और इसे लोकतंत्र को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक माना गया है।

चुनाव आयोग की संवैधानिक भूमिका

गृह मंत्री ने चुनाव आयोग की संवैधानिक स्थिति और उसके दायित्वों पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि देश के संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत चुनाव आयोग की रचना हुई है और यह एक संवैधानिक संस्था है। शाह ने बताया कि जब चुनाव आयोग के प्रावधान किए गए थे, तब भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में भी नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के साथ-साथ मतदाता सूची को सुधारने की भी जिम्मेदारी दी गई है।

मतदाता सूची शुद्धिकरण का महत्व

अमित शाह ने संविधान के अनुच्छेद-325 और 326 का हवाला देते हुए मतदाता सूची के शुद्धिकरण के महत्व को समझाया और अनुच्छेद-325 यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी पात्र मतदाता को मतदाता सूची से बाहर न किया जाए, जबकि अनुच्छेद-326 मतदाता होने की शर्तों को निर्धारित करता है। शाह ने कहा कि सबसे पहली शर्त यह है कि मतदाता भारत का नागरिक होना चाहिए, विदेशी नहीं। उन्होंने विपक्ष के इस सवाल पर कि चुनाव आयोग एसआईआर क्यों कर रहा है, पलटवार करते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग का दायित्व है, इसलिए वह ऐसा कर रहा है।

विदेशियों को सूची से हटाना ही एसआईआर का लक्ष्य

गृह मंत्री ने एसआईआर के मूल उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य उन विदेशियों को चुन-चुनकर मतदाता सूची से हटाना है, जो भारत के नागरिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और एसआईआर लोकतंत्र को स्वस्थ रखने की एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसे समय-समय पर किया जाना बेहद जरूरी है। शाह ने 2010 के एक फैसले का भी जिक्र किया, जब कांग्रेस सरकार के दौरान एक चुनाव आयुक्त ने रिटर्निंग ऑफिसर को मतदाता सूची से नाम काटने का अधिकार नहीं दिया था, जिसके परिणामस्वरूप मृत व्यक्तियों के नाम भी सूची में बने रहे।

घुसपैठियों द्वारा देश का भविष्य तय करने का खतरा

अमित शाह ने एक गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या देश का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौन होगा, यह घुसपैठिए तय करेंगे? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने पूछा कि जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, क्या उनका नाम भी वोट लिस्ट में होना चाहिए? शाह ने एसआईआर को मतदाता सूची का शुद्धिकरण बताया और विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वह विपक्ष का दर्द समझ सकते। हैं, क्योंकि उन्हें देश के मतदाता वोट नहीं देते, बल्कि वे विदेशी देते हैं जिन्हें एसआईआर के माध्यम से बाहर किया जा रहा है।

राहुल गांधी के आरोपों का खंडन

अमित शाह ने राहुल गांधी द्वारा 5 नवंबर को की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने हरियाणा में एक ही घर में 500 वोट होने का आरोप लगाया था। शाह ने इस आरोप को 'परमाणु बम फोड़ने' जैसा बताया और स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग ने इस मामले की जांच की थी। आयोग ने बताया कि यह मामला एक एकड़ के पुश्तैनी प्लॉट में रह रहे लोगों से संबंधित था, जहां कई परिवार एक साथ रहते हैं। शाह ने कहा कि यह कोई फर्जी मामला नहीं था, बल्कि। एक वास्तविक स्थिति थी, जिससे राहुल गांधी का आरोप निराधार साबित हुआ।

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