Delhi Election: सिसोदिया के घर CBI की रेड होगी... एक बार फिर केजरीवाल ने किया बड़ा दावा

Delhi Election - सिसोदिया के घर CBI की रेड होगी... एक बार फिर केजरीवाल ने किया बड़ा दावा
| Updated on: 06-Jan-2025 09:10 PM IST
Delhi Election: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक बार फिर से केंद्र सरकार और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाने के लिए फर्जी मामलों और छापेमार कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।

सीबीआई रेड और गिरफ्तारी की आशंका

अरविंद केजरीवाल ने यह दावा किया कि आने वाले दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी और अन्य पार्टी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई रेड की संभावना भी जताई। यह बयान तब आया है जब दिल्ली सरकार की कई योजनाओं, जैसे महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना, को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है।

राजनीतिक अस्थिरता और आरोप-प्रत्यारोप

केजरीवाल का कहना है कि बीजेपी दिल्ली में अपनी संभावित चुनावी हार से घबराई हुई है। उनका दावा है कि बीजेपी अपनी बौखलाहट के चलते विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इससे पहले भी आबकारी घोटाले के मामले में आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अदालतों ने कई मामलों में जमानत दे दी।

फर्जी वोटर लिस्ट का मुद्दा

एक और विवाद फर्जी वोटर लिस्ट को लेकर खड़ा हो गया है। अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटरों के नाम जोड़े और हटाए जा रहे हैं। वहीं, बीजेपी का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने कुछ सीटों पर ऐसे लोगों के नाम दर्ज कराए हैं, जो दिल्ली के निवासी ही नहीं हैं।

चुनावी राजनीति और चुनौतियां

यह मुद्दा तब और गरमा गया जब बीजेपी ने सवाल उठाया कि विधानसभा चुनाव के समय वोटरों की संख्या में इजाफा क्यों होता है, जबकि लोकसभा चुनाव में ऐसा कोई ट्रेंड नहीं देखा जाता। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तनातनी ने दिल्ली की राजनीति को और जटिल बना दिया है।

निष्कर्ष

अरविंद केजरीवाल के हालिया बयान और आरोप-प्रत्यारोप न केवल दिल्ली की राजनीति को गर्मा रहे हैं, बल्कि देशभर में विपक्षी राजनीति के स्वर को भी बल दे रहे हैं। इन दावों की सच्चाई का फैसला समय के साथ होगा, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले चुनावी माहौल में राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा और भी तीव्र होने वाली है।

इस घटनाक्रम से यह साफ है कि दिल्ली की राजनीति केवल विकास योजनाओं और मुद्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह सत्ता और विपक्ष के बीच गहरे वैचारिक संघर्ष का मैदान बन गई है।

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