Rajasthan Government: चुनाव आयोग और भजनलाल सरकार में बनी टकराव की स्थिति, जानिए क्या है पूरा मामला?

Rajasthan Government - चुनाव आयोग और भजनलाल सरकार में बनी टकराव की स्थिति, जानिए क्या है पूरा मामला?
| Updated on: 23-Aug-2025 04:42 PM IST

Rajasthan Government: राजस्थान में पंचायत और नगर निकाय चुनावों को लेकर राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच तनातनी की स्थिति बन गई है। भजनलाल सरकार 'वन नेशन वन इलेक्शन' की तर्ज पर 'एक राज्य, एक चुनाव' नीति के तहत दिसंबर 2025 में सभी स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का अनुमोदन कर चुकी है। दूसरी ओर, राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कर दिया है कि जिन शहरी निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल 2026 में पूरा हो रहा है, उन्हें भंग करके चुनाव नहीं कराए जाएंगे।

हाई कोर्ट में 25 अगस्त को होगी सुनवाई

राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए सरकार के मंत्रियों के तर्क को खारिज कर दिया है। इस बीच, भजनलाल सरकार की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में 25 अगस्त 2025 को सुनवाई होनी है। यह सुनवाई इस विवाद को और स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

एक साल से लटके हैं चुनाव

राजस्थान में लगभग 11,310 ग्राम पंचायतों और 125 नगर निकायों का कार्यकाल पिछले एक साल में पूरा हो चुका है, लेकिन इनके चुनाव नहीं कराए गए हैं। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर स्थानीय निकायों के चुनावों में देरी कर रही है।

हाई कोर्ट की फटकार और निर्वाचन आयोग का रुख

हाल ही में राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार को पंचायत चुनावों में देरी के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए कि वह संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करे। कोर्ट के दबाव के बाद आयोग ने संकेत दिए हैं कि अगले 7-10 दिनों में चुनाव की घोषणा हो सकती है। आयोग के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर 2025 तक मतदान की प्रक्रिया पूरी हो सकती है।

'एक राज्य, एक चुनाव' पर सरकार का जोर

भजनलाल सरकार 'एक राज्य, एक चुनाव' की नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत सभी स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जिससे समय, संसाधन और प्रशासनिक बोझ को कम किया जा सके। हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जब तक संसद संविधान में संशोधन नहीं करती, तब तक स्थानीय निकायों के लिए यह नीति लागू करना संभव नहीं है।

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