Dungarpur DISHA Meeting: डूंगरपुर में DISHA बैठक में हंगामा: ‘लड़ना है तो बाहर आ जा’, BAP विधायक ने BJP सांसद को धमकाया

Dungarpur DISHA Meeting - डूंगरपुर में DISHA बैठक में हंगामा: ‘लड़ना है तो बाहर आ जा’, BAP विधायक ने BJP सांसद को धमकाया
| Updated on: 29-Dec-2025 05:33 PM IST
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सोमवार को आयोजित जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (DISHA) की एक महत्वपूर्ण बैठक उस। समय हंगामे का अखाड़ा बन गई, जब उपस्थित जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। यह घटना जिला परिषद के ईडीपी सभागार में हुई, जहां बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत, आसपुर सीट से उनकी पार्टी के विधायक उमेश डामोर और उदयपुर से भाजपा सांसद मन्नालाल रावत सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। बैठक का उद्देश्य जिले के विकास और केंद्र सरकार की योजनाओं की प्रगति पर चर्चा करना था, लेकिन यह राजनीतिक खींचतान और व्यक्तिगत टकराव का मंच बन गया।

एजेंडे से भटके बीएपी सांसद

बैठक की शुरुआत में, बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने अपनी बात रखनी शुरू की और हालांकि, उन्होंने जल्द ही बैठक के निर्धारित एजेंडे से हटकर राज्य सरकार से संबंधित मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया। DISHA बैठकों का मुख्य ध्यान केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं और कार्यक्रमों की समीक्षा करना होता है, ताकि उनके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। सांसद रोत का यह कदम बैठक के मूल उद्देश्य से विचलन था, जिसने तुरंत ही अन्य उपस्थित सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया और विवाद की नींव रखी।

भाजपा सांसद की आपत्ति और बहस की शुरुआत

सांसद रोत द्वारा एजेंडे से हटकर राज्य सरकार के मुद्दे उठाने पर, भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने तुरंत आपत्ति जताई। रावत ने जोर देकर कहा कि बैठक को निर्धारित एजेंडे के अनुसार ही चलना चाहिए। और केवल केंद्र सरकार की योजनाओं से संबंधित मुद्दों पर ही चर्चा की जानी चाहिए। उनका मानना था कि बैठक का समय और संसाधन उन विषयों पर केंद्रित होने चाहिए जिनके लिए समिति का गठन किया गया है और इसी बात पर दोनों सांसदों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई, जिसने सभागार के शांत माहौल को गरमा दिया।

अध्यक्षता को लेकर रोत का दावा और आरोप

बहस के दौरान, सांसद राजकुमार रोत ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि वह बैठक के अध्यक्ष हैं और इस नाते उन्हें क्षेत्र की किसी भी समस्या पर चर्चा करने का अधिकार है, बशर्ते वह जनता से जुड़ी हो। उन्होंने अपनी स्थिति का हवाला देते हुए यह तर्क दिया कि जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना उनकी जिम्मेदारी है, भले ही वे सीधे तौर पर केंद्र सरकार की योजनाओं से संबंधित न हों और इसके बाद, उन्होंने भाजपा सांसद मन्नालाल रावत पर आरोप लगाया कि वे केवल बैठक का माहौल खराब करने आए हैं और डूंगरपुर के विकास में उनकी कोई रुचि नहीं है। इन आरोपों ने बहस को और अधिक व्यक्तिगत और कटु बना दिया।

विधायक डामोर का हस्तक्षेप और सीधी धमकी

विवाद तब और बढ़ गया जब मन्नालाल रावत ने खुद को 'धमकाया जाने वाला निर्वाचित जनप्रतिनिधि' बताया। इस टिप्पणी के तुरंत बाद, आसपुर से बीएपी विधायक उमेश डामोर भी बहस में कूद पड़े। विधायक डामोर और सांसद रावत के बीच शब्दों का युद्ध शुरू हो गया, जो जल्द ही व्यक्तिगत हमले में बदल गया और माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल रावत को सीधे तौर पर धमकी दे डाली। उन्होंने कहा, 'अगर लड़ाई करनी है तो बाहर आ जाओ', जिससे सभागार में मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए।

15 मिनट का हाई-वोल्टेज ड्रामा और सुरक्षाकर्मियों का हस्तक्षेप

यह हाई-वोल्टेज ड्रामा करीब 15 मिनट तक चला, जिसके दौरान बैठक का माहौल पूरी तरह से गरमा गया। जनप्रतिनिधियों के बीच इस तरह की सार्वजनिक झड़प ने बैठक की गरिमा को ठेस पहुंचाई और कार्यवाही को बाधित कर दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सभागार में मौजूद सुरक्षाकर्मियों को तुरंत बीच-बचाव के लिए आगे आना पड़ा। उन्होंने दोनों पक्षों को शांत कराने और स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया, ताकि आगे कोई अप्रिय घटना न हो। सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ सदन में मौजूद अन्य सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कड़ी मशक्कत की। उन्होंने दोनों पक्षों के नेताओं को समझाने-बुझाने और शांत कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काफी प्रयासों के बाद, आखिरकार दोनों पक्षों को शांत कराया जा सका और तनावपूर्ण माहौल कुछ हद तक सामान्य हुआ। इस हस्तक्षेप के बाद ही बैठक की कार्यवाही को दोबारा सुचारू रूप से शुरू किया जा सका, हालांकि घटना का प्रभाव बैठक के शेष हिस्से पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। इस घटना ने सार्वजनिक मंचों पर जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद। और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

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