Bihar Assembly Elections 2025: पूर्व CM अशोक गहलोत ने बिहार में चलाया ‘जादू’, 24 घंटे में बदल दिया पासा; बने कांग्रेस के संकटमोचक
Bihar Assembly Elections 2025 - पूर्व CM अशोक गहलोत ने बिहार में चलाया ‘जादू’, 24 घंटे में बदल दिया पासा; बने कांग्रेस के संकटमोचक
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे कांग्रेस के लिए किसी संकटमोचक से कम नहीं हैं। बिहार में महागठबंधन की एकता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच गहलोत ने अपनी कूटनीतिक चालों से। 24 घंटे से भी कम समय में स्थिति को संभाल लिया, जिससे पार्टी और गठबंधन दोनों को मजबूती मिली। उनकी सादगी और मृदुभाषी स्वभाव के पीछे छिपा है एक गहरा रणनीतिक दिमाग, जो राजनीतिक संकटों को सुलझाने में माहिर है। बिहार में महागठबंधन के नेताओं के बीच तनाव को कम करने और एकजुटता का संदेश देने में गहलोत की भूमिका ने एक बार फिर उनकी राजनीतिक सूझबूझ को दिखाया है।
बिहार में गहलोत का चला जादू
दरअसल, बिहार में महागठबंधन की एकता को लेकर हाल के दिनों में कई तरह की अटकलें चल रही थीं। राजद, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के बीच समन्वय की कमी की खबरें सामने आ रही थीं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने इस स्थिति को सुलझाने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंपी। गहलोत ने बिहार पहुंचते ही सभी प्रमुख नेताओं से मुलाकात की और उनकी शंकाओं को दूर किया। उनकी मध्यस्थता का नतीजा यह रहा कि महागठबंधन ने जल्द ही एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें सभी दलों ने एकजुट होकर आगामी चुनाव मजबूती से लड़ने का भरोसा जताया। गहलोत ने नेताओं को एक मंच पर लाने का काम किया, साथ ही मीडिया के सामने भी महागठबंधन की एकता का मजबूत संदेश दिया।कूटनीति के पुराने खिलाड़ी
अशोक गहलोत का राजनीतिक करियर पांच दशकों से अधिक का रहा है। इस दौरान उन्होंने कई बार अपनी कूटनीतिक क्षमता का परिचय दिया है। 2017 में गुजरात में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग का संकट खड़ा हो गया था। उस समय गहलोत ने देर रात सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया, जिससे स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिली और उनकी यह रणनीति कांग्रेस के लिए निर्णायक साबित हुई थी।अन्य राज्यों में भी कूटनीति
इसी तरह, 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में गहलोत ने 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की रणनीति अपनाई, जिससे एक नई बहस को जन्म दिया। 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच टकराव की स्थिति को देखते हुए गहलोत को चुनाव पर्यवेक्षक बनाया गया और उन्होंने दोनों नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। इसी तरह, महाराष्ट्र में भी गहलोत और सचिन पायलट को संयुक्त रूप से पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। इन सभी राज्यों में गहलोत ने अपनी कूटनीतिक क्षमता का परिचय। दिया और पार्टी के भीतर एकता बनाए रखने में मदद की।