गुवाहाटी: असम एनआरसी की पूरी कहानी, जानिए कब क्या हुआ

गुवाहाटी - असम एनआरसी की पूरी कहानी, जानिए कब क्या हुआ
| Updated on: 31-Aug-2019 03:04 PM IST
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को  नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी कर दी है। 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम सूची से बाहर हैं। यह लोग अब विदेशी न्यायाधिकरण में अपनी नागरिकता के लिए अपील करेंगे। उनके पास अपील करने के लिए केवल 120 दिन हैं। 31 दिसंबर, 2019 अपील दाखिल करने की अंतिम तिथि है। वहीं यह लोग उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक जा सकते हैं। चलिए जानते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ-

1950: बंटवारे के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से असम में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के बाद प्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम लागू किया गया।

1951: स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना हुई। इसके आधार पर पहला एनआरसी तैयार किया गया।

1957: प्रवासी (असम से निष्कासन) कानून निरस्त किया गया।

1964-1965: पूर्वी पाकिस्तान में अशांति के कारण वहां से शरणार्थी बड़ी संख्या में आए।

1971: पूर्वी पाकिस्तान में दंगों और युद्ध के कारण फिर से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए। स्वतंत्र बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

1979-1985: विदेशियों की पहचान करने, देश के नागरिक के तौर पर उनके अधिकारी छीनने, उनके निर्वासन के लिए असम से छह साल आंदोलन चला जिसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजएसपी) ने किया।

1983: मध्म असम के नेल्ली में नरसंहार हुआ जिसमें 3000 लोगों की मौत हुई। अवैध प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम पारित किया गया। 

1985: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में केंद्र, राज्य, आसू और एएजीएसपी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें अन्य खंडों के अलावा यह भी कहा गया कि 25 मार्च 1971 को या उसके बाद आए विदेशियों को निष्कासित किया जाएगा।

1997: निर्वाचन आयोग ने उन मतदाताओं के नाम के आगे ‘डी’ (संदेहास्पद) जोड़ने का फैसला किया जिनके भारतीय नागरिक होने पर शक था।

2005: उच्चतम न्यायालाय ने आईएमडीटी कानून को असंवैधानिक घोषित किया। केंद्र, राज्य सरकार और आसू की बैठक में 1951 एनआरसी के अद्यतन का फैसला किया गया, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

2009: एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाए जाने और एनआरसी के अद्यतन की अपील करते हुए उच्चतम न्यायालय में मामला दायर किया।

2010: एनआरसी के अद्यतन के लिए चायगांव, बारपेटा में प्रायोगिक परियोजना शुरू हुई। बारपेटा में हिंसा में चार लोगों की मौत हुई। परियोजना बंद कर दी गई।

2013: उच्चतम न्यायालय ने एपीडब्ल्यू की याचिका की सुनवाई की। केंद्र, राज्य को एनआरसी के अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया। एनआरसी राज्य समन्वयक कार्यालय की स्थापना।

2015: एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ।

2017: 31 दिसंबर को मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किए गए।

30 जुलाई, 2018: एनआरसी की एक और मसौदा सूची जारी की गई। इसमें 2.9 करोड़ लोगों में से 40 लाख के नाम शामिल नहीं किए गए।

26 जून 2019: 1,02,462 लोगों की अतिरिक्त मसौदा निष्कासन सूची प्रकाशित।

31 अगस्त, 2019: अंतिम एनआरसी जारी।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।