Income Tax Bill 2025: सरकार ने इनकम टैक्स बिल लोकसभा से लिया वापस, नया बिल 11 अगस्त को पेश होगा

Income Tax Bill 2025 - सरकार ने इनकम टैक्स बिल लोकसभा से लिया वापस, नया बिल 11 अगस्त को पेश होगा
| Updated on: 08-Aug-2025 04:46 PM IST

Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने की घोषणा की। यह निर्णय चयन समिति के सुझावों को शामिल करने और विधेयक के विभिन्न संस्करणों से उत्पन्न भ्रम को दूर करने के लिए लिया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, एक संशोधित और स्पष्ट विधेयक 11 अगस्त को सदन में पेश किया जाएगा।

विधेयक वापसी का कारण

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विधेयक, 2025 के कई संस्करणों के कारण उत्पन्न भ्रम को समाप्त करने और सभी सुधारों को समाहित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। नया विधेयक 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह से बदलने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। सरकार का लक्ष्य कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और करदाताओं के लिए सुगम बनाना है।

चयन समिति के प्रमुख सुझाव

31 सदस्यों वाली चयन समिति ने विधेयक को और प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. धार्मिक ट्रस्टों को कर छूट: समिति ने सुझाव दिया है कि धार्मिक और कम-धार्मिक ट्रस्टों को प्राप्त गुमनाम दानों पर कर छूट जारी रखी जाए। यह प्रावधान धार्मिक ट्रस्टों को वित्तीय राहत प्रदान करेगा।

  2. टीडीएस रिफंड में लचीलापन: करदाताओं को आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तिथि के बाद भी बिना जुर्माना भरे टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए। यह कदम करदाताओं के लिए प्रक्रिया को और सरल बनाएगा।

गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए राहत

संशोधित विधेयक में गैर-लाभकारी संस्थाओं को विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार ने केवल धार्मिक ट्रस्टों को प्राप्त गुमनाम दानों पर कर छूट प्रदान करने का प्रावधान रखा है। हालांकि, यदि कोई धार्मिक ट्रस्ट अस्पताल, स्कूल या अन्य चैरिटेबल गतिविधियों का संचालन करता है, तो ऐसे दानों पर कर लागू होगा। यह प्रावधान धार्मिक और चैरिटेबल गतिविधियों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बनाया गया है।

आगे की राह

संशोधित आयकर विधेयक, 2025 को 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। यह विधेयक कर प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाने के साथ-साथ गैर-लाभकारी संस्थाओं और करदाताओं को राहत प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चयन समिति के सुझावों को शामिल करने से विधेयक अधिक समावेशी और प्रभावी होगा।

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