देश: सरकार ने जारी किए कोविड-19 मृत्यु प्रमाणपत्र के नियम

देश - सरकार ने जारी किए कोविड-19 मृत्यु प्रमाणपत्र के नियम
| Updated on: 12-Sep-2021 01:14 PM IST
नई दिल्ली: कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद अगर 30 दिन के अंदर किसी की मौत अस्पताल या घर में हो जाती है, या फिर कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अगर आप लगातार 30 दिनों तक अस्पताल में इलाजरत है और अचानक आपकी मौत हो जाती है तो मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह कोविड-19 ही बताई जाएगी। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफेडेविट फाइल कर इस बात की जानकारी दी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 30 जून को यह निर्देश दिया था कि जो लोग इस महामारी की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए औऱ फिर ठीक होने के बाद कोरोना से जुड़ी जटिलताओं से उनकी मौत हो जाती है, तो ऐसी मौतों को कोरोना से हुई मौतें मानने की दिशा में कदम उठाया जाए।

जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण तथा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने 3 सितंबर को नए नियम बनाए। सरकार ने अब कोरोना से डेथ के संबंध में नया सर्कुलर जारी किया है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि कोविड की पुष्टि होने के बाद अगर अस्पताल से छुट्टी भी हो जाए तो भी टेस्ट के 30 दिनों के भीतर अस्पताल से बाहर मौत होने पर कोविड डेथ माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल की याचिका सुनवाई के दौरान 30 जून को आदेश पारित किया था और कहा था कि केंद्र सरकार को इस आदेश का आदर करना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि कोविड से मौत के मामले में डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया आसान बनाए और इसके लिए गाइडलाइंस जारी करे।

गाइडलाइंस के मुताबिक आरटीपीसीआर टेस्ट या एंटीजन टेस्ट या फिर क्लिनिकल तरीके से छानबीन में कोविड का पता चलता है तो कोविड माना जाएगा। लेकिन साथ ही कहा गया है कि अगर मौत का कारण जहर, आत्महत्या या एक्सिडेंट से हुआ हो तो उसे कोविड से मौत नहीं माना जाएगा चाहे कोविड टेस्ट में पुष्टि हुई भी हो।

कोविड से मौत के मामले में जारी होने वाले सर्टिफिकेट को आसान बनाने के लिए गाइडलाइंस तैयार कर उसकी अमल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने 11 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया गया था। इससे पहले पिछली सुनवाई पर सॉलिसिटर जनरल ने इस गाइडलाइंस को पूरा करने के लिए एक हफ्ते का और वक्त मांगा था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि आदेश काफी पहले का है और पहले भी वक्त दिया गया था।

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