UP Politics: ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन वो 'विश्वनाथ' हैं- CM योगी का बड़ा बयान

UP Politics - ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन वो 'विश्वनाथ' हैं- CM योगी का बड़ा बयान
| Updated on: 14-Sep-2024 03:40 PM IST
UP Politics: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसने धार्मिक और ऐतिहासिक विमर्श को एक नई दिशा दी है। सीएम योगी ने ज्ञानवापी परिसर को लेकर कहा कि इसे आज लोग मस्जिद के रूप में पहचानते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्ञानवापी साक्षात भगवान विश्वनाथ के रूप में है।

आचार्य आदि शंकर और ज्ञानवापी की कथा

एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने आचार्य आदि शंकर के ज्ञानवापी आगमन की ऐतिहासिक घटना को याद किया। उन्होंने बताया कि जब आचार्य आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान के साथ काशी पहुंचे, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय किया। एक सुबह, जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए निकले, तो भगवान विश्वनाथ ने एक चंडाल के रूप में उनके सामने आकर उन्हें चुनौती दी।

सीएम योगी ने विस्तार से बताया, "जब आदि शंकर ने चंडाल को हटाने की कोशिश की, तो चंडाल ने उनसे पूछा कि उनका ज्ञान क्या भौतिक शरीर को देख रहा है या उस शरीर के अंदर बसे ब्रह्म को। चंडाल ने स्पष्ट किया कि ब्रह्म सत्य है और यह सत्य हर व्यक्ति के अंदर विद्यमान है। अगर आदि शंकर इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं, तो यह उनके ज्ञान की असत्यता को दर्शाता है।"

ज्ञानवापी का साक्षात स्वरूप

सीएम योगी ने बताया कि चंडाल की बात सुनकर आदि शंकर चकित हो गए और उन्होंने जानना चाहा कि वह चंडाल कौन हैं। चंडाल ने उत्तर दिया कि ज्ञानवापी, जिसे आज मस्जिद के रूप में जाना जाता है, वास्तव में साक्षात भगवान विश्वनाथ हैं। यह ज्ञानवापी उसी ब्रह्म का रूप है जिसे आदि शंकर ने पूजा और साधना के लिए यात्रा की थी।

भौतिक अस्पृश्यता और समाज की एकता

मुख्यमंत्री योगी ने इस घटना से संबंधित अपने विचार साझा करते हुए कहा, "आदि शंकर ने बाबा विश्वनाथ का जवाब सुनकर न केवल नतमस्तक हो गए, बल्कि उन्हें भौतिक अस्पृश्यता की समस्या को लेकर गहरी चिंता भी हुई। उन्होंने महसूस किया कि भौतिक अस्पृश्यता न केवल साधना के मार्ग में बाधा डालती है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। अगर हमारे समाज ने इस बाधा को समझ लिया होता, तो शायद देश कभी गुलाम नहीं होता।"

निष्कर्ष

सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को नई दृष्टि से प्रस्तुत करता है। उनके द्वारा आचार्य आदि शंकर की कथा के माध्यम से प्रस्तुत की गई बातें न केवल धार्मिक आस्थाओं को पुनरावलोकन का अवसर देती हैं, बल्कि भौतिक अस्पृश्यता और सामाजिक एकता के महत्व को भी रेखांकित करती हैं। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि ज्ञानवापी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसे समझने और मानने की आवश्यकता है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।