Iltija Mufti: महबूबा मुफ्ती की बेटी का विवादित बयान, कहा- 'हिंदुत्व नफरत का दर्शन है, यह एक बीमारी है'

Iltija Mufti - महबूबा मुफ्ती की बेटी का विवादित बयान, कहा- 'हिंदुत्व नफरत का दर्शन है, यह एक बीमारी है'
| Updated on: 08-Dec-2024 07:40 PM IST
Iltija Mufti: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हाल ही में हिंदुत्व को लेकर एक विवादित बयान दिया, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। इल्तिजा ने हिंदुत्व की कड़ी आलोचना करते हुए इसे "नफरत का दर्शन" बताया, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित कई नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।

इल्तिजा मुफ्ती का बयान: हिंदुत्व और हिंदू धर्म में अंतर

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, "हिंदुत्व और हिंदू धर्म में बहुत बड़ा अंतर है। हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जो प्रेम, करुणा और धर्मनिरपेक्षता का प्रचार करता है। जबकि हिंदुत्व नफरत का दर्शन है, जिसे 1940 के दशक में वीर सावरकर द्वारा बढ़ावा दिया गया था। इसका उद्देश्य हिंदुओं का वर्चस्व स्थापित करना और यह साबित करना था कि भारत केवल हिंदुओं के लिए है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "'जय श्री राम' का नारा जो रामराज्य की अवधारणा से जुड़ा था, अब लिंचिंग जैसी घटनाओं का प्रतीक बन गया है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पवित्र धर्म को इस तरह विकृत किया जा रहा है। हिंदुत्व को एक बीमारी के रूप में देखते हुए मैंने इसकी आलोचना की है।"

भाजपा ने जताया विरोध

जम्मू-कश्मीर भाजपा इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने इल्तिजा मुफ्ती के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, "इस तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल राजनीति में नहीं होना चाहिए। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इस प्रकार की बयानबाजी अस्वीकार्य है। इल्तिजा मुफ्ती को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।"

महबूबा मुफ्ती का भी हाल में विवादित बयान

यह पहली बार नहीं है जब मुफ्ती परिवार विवादों में घिरा हो। हाल ही में, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश के मौजूदा हालातों की तुलना भारत से कर दी थी। उनके इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भाजपा नेताओं ने इसे भारत की छवि धूमिल करने वाला और अपमानजनक बताया।

राजनीतिक प्रभाव

इल्तिजा मुफ्ती के इस बयान ने न केवल हिंदुत्व बनाम हिंदू धर्म की बहस को ताजा कर दिया है, बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी नई हलचल पैदा कर दी है। भाजपा इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए अपने समर्थकों को लामबंद करने का प्रयास कर रही है, जबकि पीडीपी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा बताया है।

क्या यह बहस खत्म होगी?

हिंदुत्व और धर्म की अवधारणा पर चर्चा भारत में नई नहीं है, लेकिन इस प्रकार के बयानों से राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराने की संभावना बढ़ जाती है। जहां भाजपा इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला मानती है, वहीं इल्तिजा जैसे नेता इसे एक वैचारिक आलोचना के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

भविष्य में इन बयानों का क्या असर होगा, यह देखने योग्य होगा। फिलहाल, यह मुद्दा देश की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है।

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