Parliament Winter Session: संसद में गतिरोध खत्म हो, कैसे बनी सरकार और विपक्ष में सहमति?

Parliament Winter Session - संसद में गतिरोध खत्म हो, कैसे बनी सरकार और विपक्ष में सहमति?
| Updated on: 03-Dec-2024 09:02 AM IST
Parliament Winter Session: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा सोमवार को बुलाई गई फ्लोर लीडर्स की बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने मंगलवार से संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने पर सहमति व्यक्त की। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने घोषणा की कि संसद में गतिरोध समाप्त करने के लिए सभी दल तैयार हैं।

अडानी मामले पर विपक्ष का रुख और सरकार की रणनीति

कांग्रेस, अडानी मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है। हालांकि, विपक्षी इंडिया गठबंधन के भीतर इस मुद्दे पर एकता नहीं दिख रही। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दलों का मानना है कि संसद में केवल अडानी मामले पर चर्चा करना पर्याप्त नहीं है। वे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे संभल (उत्तर प्रदेश में) की घटनाएं, बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद, और मणिपुर में हिंसा को भी उठाने की मांग कर रहे हैं।

टीएमसी और सपा ने इंडिया गठबंधन की बैठकों में हिस्सा लेना भी बंद कर दिया है, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। इस मतभेद का फायदा उठाते हुए सरकार ने इन दलों की मांगों पर सहमति व्यक्त की, जिससे कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया।

संविधान पर चर्चा: सहमति का आधार

सरकार और कांग्रेस के बीच सहमति का मुख्य बिंदु संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा करना रहा। यह प्रस्ताव सभी पक्षों को रास आया क्योंकि:

  1. विपक्ष: संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को अडानी सहित अन्य मुद्दे उठाने का अवसर मिलेगा।
  2. सरकार: संविधान पर चर्चा से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि अडानी मामले पर सरकार बैकफुट पर न दिखे।
सरकार ने इस चर्चा के लिए 13-14 दिसंबर को लोकसभा और 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में विशेष सत्र आयोजित करने की सहमति दी है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन भी होने की संभावना है।

सरकार की ‘एकता में दरार’ की रणनीति

सरकार ने इंडिया गठबंधन की भीतर की असहमति को भुनाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए। टीएमसी और सपा जैसे दलों को उनके मुद्दों पर चर्चा का आश्वासन देकर, सरकार ने विपक्षी गठबंधन की एकता को चुनौती दी।

संसद के भीतर यह नई सहमति सरकार की सोच "एकजुटता में सुरक्षा" को दर्शाती है। जहां कांग्रेस को अपने मुद्दे उठाने का मंच मिलेगा, वहीं सरकार अडानी मामले से जुड़े किसी भी दबाव से बच सकती है।

संविधान की 75वीं वर्षगांठ: एक ऐतिहासिक अवसर

संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने पर यह चर्चा भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। दोनों सदनों में प्रस्तावित चर्चा का उद्देश्य संविधान के महत्व और इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित करना है। प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ, यह चर्चा राष्ट्रीय एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का प्रयास होगी।

निष्कर्ष

संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए यह सहमति सरकार और विपक्ष दोनों के लिए लाभप्रद है। जहां कांग्रेस को संवैधानिक चर्चा में अपने मुद्दे उठाने का अवसर मिलेगा, वहीं सरकार विपक्षी गठबंधन की एकता में दरार दिखाने में सफल हुई है। संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर होने वाली चर्चा भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हो सकती है।

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