Rare Earth Reserve: भारत सरकार रक्षा उत्पादन के लिए आवश्यक दुर्लभ खनिजों (रेयर अर्थ) और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का रणनीतिक भंडार बनाने की योजना पर विचार कर रही है। यह पहल आपातकालीन परिस्थितियों में इन खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए है, जो मिसाइल, विमान, राडार, और युद्धपोत जैसे महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों के निर्माण में उपयोगी हैं। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इस योजना का खुलासा किया। यह पहली बार है जब भारत ने इस तरह के रणनीतिक भंडार की योजना को सार्वजनिक किया है।
दुर्लभ खनिज रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका उपयोग न केवल सैन्य उपकरणों में, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन ऊर्जा, और अन्य हाई-टेक उद्योगों में भी होता है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी व्यवधान से भारत की रक्षा तैयारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस रणनीतिक भंडार का निर्माण आपूर्ति की कमी या वैश्विक संकट के समय आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
चीन का दुर्लभ खनिजों, विशेष रूप से रेयर अर्थ मैग्नेट्स, पर लगभग 90% वैश्विक नियंत्रण है। इस साल अप्रैल से चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई। हालांकि हाल ही में इन प्रतिबंधों में कुछ ढील दी गई है, लेकिन चीन का बाजार पर प्रभुत्व पश्चिमी देशों और भारत जैसे देशों को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करने के लिए मजबूर कर रहा है। भारत की यह रणनीति न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में भी मदद करेगी।
भारत सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। हाल ही में 1,500 करोड़ रुपये की एक योजना को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) से महत्वपूर्ण खनिजों को रीसायकल करना है। इसके अतिरिक्त, रेयर अर्थ माइंस को रणनीतिक परियोजनाओं के रूप में घोषित किया गया है, जिससे खनन की मंजूरी प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा। राजेश कुमार सिंह ने कहा, "भारत के पास महत्वपूर्ण खनिजों का पर्याप्त भंडार है, और हम भविष्य में इनका बेहतर उपयोग करने में सक्षम होंगे।"
इस रणनीति से भारत न केवल अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकता है। रणनीतिक भंडार का निर्माण और खनन प्रक्रिया में तेजी लाने से भारत अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक बाजार में रेयर अर्थ और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक विश्वसनीय स्रोत बन सकता है। यह पहल न केवल रक्षा क्षेत्र के लिए, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, और अन्य उभरते उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।