China Rare Earth: चीन ने भारत को रेयर अर्थ सामग्री की आपूर्ति पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे प्रमुख उद्योगों में गंभीर संकट पैदा हो गया है। रेयर अर्थ मैग्नेट, जो इन उद्योगों के लिए अपरिहार्य हैं, अब सीमित आपूर्ति के कारण उत्पादन लाइनों को प्रभावित कर रहे हैं। CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस संकट से निपटने के लिए 18 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित होने वाली है। इस बैठक में भारी उद्योग विभाग (DHI), वाणिज्य मंत्रालय और खनन मंत्रालय जैसे प्रमुख सरकारी विभाग हिस्सा लेंगे।
ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों ने इस संकट को लेकर गहरी चिंता जताई है। ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने चेतावनी दी है कि रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से उनकी उत्पादन लाइनें ठप हो सकती हैं। दूसरी ओर, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग ने सरकार को पत्र लिखकर बताया है कि चीन ने न केवल रेयर अर्थ सामग्री, बल्कि चीनी तकनीकी कर्मचारियों की तैनाती और प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग उपकरणों की आपूर्ति पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। ये कदम भारत के वित्त वर्ष 2026 के लिए 32 अरब डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात लक्ष्य को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। उद्योग संगठनों का कहना है कि ये प्रतिबंध भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकते हैं।
18 जुलाई 2025 की पीएमओ बैठक में इस संकट से निपटने के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा होगी:
वैकल्पिक सप्लाई चेन: भविष्य में इस तरह के संकट से बचने के लिए वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना पर जोर दिया जाएगा। इसमें अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अफ्रीकी देशों के साथ रेयर अर्थ आपूर्ति के लिए समझौते शामिल हो सकते हैं।
स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा: सरकार 1,345 करोड़ रुपये की रेयर अर्थ मैग्नेट प्रोत्साहन योजना की प्रगति की समीक्षा करेगी। इस योजना का उद्देश्य भारत में रेयर अर्थ सामग्री के स्वदेशी उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है।
उद्योगों की मांग: ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों की मांगों को ध्यान में रखते हुए तत्काल कदम उठाने पर विचार होगा, ताकि उनकी उत्पादन क्षमता बनी रहे।
चीन के इस कदम को भारत एक अवसर के रूप में देख रहा है। सरकार और उद्योग मिलकर रेयर अर्थ सामग्री के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी खनन क्षमताओं को बढ़ाने, रीसाइक्लिंग तकनीकों को अपनाने और वैकल्पिक सामग्रियों पर शोध करने की आवश्यकता है।