Bharat Bandh: जानें आज भारत बंद क्यों है, कौन-कौन से संगठन और दल हैं शामिल, क्या हैं उनकी मांगे

Bharat Bandh - जानें आज भारत बंद क्यों है, कौन-कौन से संगठन और दल हैं शामिल, क्या हैं उनकी मांगे
| Updated on: 21-Aug-2024 09:08 AM IST
Bharat Bandh: बुधवार को भारत में 14 घंटे के लिए भारत बंद का आह्वान किया गया है। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने के फैसले के खिलाफ किया जा रहा है। यह आंदोलन नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) द्वारा आयोजित किया गया है। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दलितों और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।

भारत बंद का उद्देश्य

भारत बंद का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देना और इसे वापस लेने की मांग करना है। NACDAOR और अन्य संगठनों का मानना है कि कोर्ट का यह निर्णय आरक्षण के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। संगठनों का कहना है कि कोर्ट को कोटे में कोटा वाले फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। NACDAOR ने सभी दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदाय के लोगों से शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की है।

मांगें और मुद्दे

NACDAOR ने अपनी मांगों में सरकारी नौकरी कर रहे सभी SC, ST और OBC कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने की मांग की है। इसके साथ ही संगठन ने भारतीय न्यायिक सेवा के माध्यम से न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति की भी मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति आधारित डेटा को तत्काल जारी किया जाए ताकि उनके सटीक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की स्थापना की भी मांग की गई है, जिससे हायर ज्यूडिशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों का 50% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

भारत बंद में भाग लेने वाले संगठन और राजनीतिक दल

इस भारत बंद का समर्थन न केवल दलित और आदिवासी संगठनों ने किया है, बल्कि कई राज्यों की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों ने भी इसे समर्थन दिया है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, एलजेपी (R) जैसे दलों ने भी बंद का समर्थन किया है। कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया है।

सुप्रीम कोर्ट का विवादित फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में SC/ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था। संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से निर्णय दिया कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंद को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2004 के एक पुराने फैसले को पलट देता है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि SC के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता है और SC में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।

विरोध के कारण

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देशभर में विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों का मानना है कि यह फैसला आरक्षण नीति के खिलाफ है और इससे आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनका तर्क है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण सामाजिक न्याय और ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के उद्देश्य से दिया गया है, न कि केवल उनकी आर्थिक तरक्की के लिए।

भारत बंद के आह्वान ने देश में सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों को लेकर एक बार फिर से बहस को जन्म दिया है। यह देखा जाना बाकी है कि इस बंद का सरकार और न्यायपालिका पर कितना असर पड़ेगा और क्या यह आंदोलन अपने उद्देश्यों को हासिल कर पाएगा।

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