Nishikant Dubey: दुबे को मराठी सांसदों ने घेरा, संसद की लॉबी तक पहुंचा हिंदी Vs मराठी विवाद

Nishikant Dubey - दुबे को मराठी सांसदों ने घेरा, संसद की लॉबी तक पहुंचा हिंदी Vs मराठी विवाद
| Updated on: 24-Jul-2025 11:17 AM IST

Nishikant Dubey: महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद अब दिल्ली की संसद तक पहुंच गया है। हाल ही में संसद भवन की लॉबी में एक नाटकीय घटनाक्रम सामने आया, जिसमें बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को मराठी सांसदों ने घेर लिया। कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने इंडिया टीवी से फोन पर बातचीत में इस घटना का जिक्र करते हुए दावा किया कि निशिकांत दुबे ने उनके आक्रामक तेवर देखकर "जय महाराष्ट्र" का नारा लगाया और वहां से निकल गए। आइए जानते हैं इस विवाद का पूरा घटनाक्रम और इसके पीछे की वजह।

क्या है पूरा मामला?

कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने बताया कि संसद भवन की लॉबी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को मराठी सांसदों ने रोका और उनसे उनके विवादास्पद बयानों पर सवाल किए। गायकवाड़ ने कहा, "हमने दुबे से पूछा कि आपने महाराष्ट्र के खिलाफ आपत्तीजनक बयान क्यों दिया? बताओ, किस-किस को पटक-पटक कर मारोगे?" उनके अनुसार, कांग्रेस की महिला सांसदों के आक्रामक रुख को देखकर निशिकांत दुबे हक्के-बक्के रह गए और सहमे हुए अंदाज में बोले, "नहीं...नहीं...जय महाराष्ट्र।" इसके बाद वह जल्दी से वहां से निकल गए।

कैसे हुआ घटनाक्रम?

यह घटना दोपहर करीब 12:30 से 1:00 बजे के बीच संसद भवन की लॉबी में हुई। जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के मराठी सांसद निशिकांत दुबे को ढूंढ रहे थे। इसी दौरान बीजेपी सांसद मनोज तिवारी वहां दिखे। वर्षा गायकवाड़ ने मनोज तिवारी से पूछा, "निशिकांत दुबे कहां हैं?" तभी दुबे खुद वहां पहुंच गए। इसके बाद वर्षा गायकवाड़, प्रतिभा धानोरकर, शोभा बच्छाव सहित अन्य मराठी सांसदों ने दुबे को घेर लिया और उनसे सवाल किया, "महाराष्ट्र के खिलाफ ऐसा बयान क्यों दिया? बताओ, किस-किस को पटक-पटक कर मारोगे?"

सांसदों के आक्रामक तेवर देखकर निशिकांत दुबे ने सफाई देने की कोशिश की और कहा, "नहीं-नहीं, ऐसा नहीं है। जय महाराष्ट्र!" यह कहकर वह वहां से निकल गए। "जय महाराष्ट्र" का नारा सुनकर अन्य सांसद भी वहां जमा हो गए। यह पूरा घटनाक्रम संसद भवन की कैंटीन के पास हुआ।

विवाद की जड़ में क्या है?

महाराष्ट्र में हाल के दिनों में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। खासकर मुंबई में, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदी बोलने वालों के साथ विवाद और मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, "तुम लोग हमारे पैसों पर पल रहे हो। तुम्हारे पास किस तरह के उद्योग हैं? अगर तुममें इतनी हिम्मत है और तुम हिंदी बोलने वालों को पीटते हो, तो उर्दू, तमिल और तेलुगु बोलने वालों को भी पीटो। अगर तुम इतने बड़े 'बॉस' हो, तो महाराष्ट्र से बाहर निकलो, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आओ - 'तुमको पटक-पटक के मारेंगे'।"

दुबे ने यह भी कहा था कि मराठी और महाराष्ट्र के लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। हालांकि, उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे पर बीएमसी चुनावों के मद्देनजर "घटिया राजनीति" करने का आरोप लगाया। दुबे ने चुनौती देते हुए कहा, "अगर उनमें हिम्मत है, तो माहिम जाएं और माहिम दरगाह के सामने किसी हिंदी या उर्दू भाषी को पीटकर दिखाएं।"

राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि

महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी का विवाद कोई नया मुद्दा नहीं है। यह विवाद भाषाई अस्मिता, सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक हितों से जुड़ा हुआ है। मनसे और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दल मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं, लेकिन हिंदी और अन्य भाषी समुदायों की बढ़ती आबादी, खासकर मुंबई में, ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। बीएमसी चुनाव नजदीक होने के कारण इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में हिंदी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, जो राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

इस बीच, राज ठाकरे ने भी निशिकांत दुबे के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा था, "मुंबई आओ, समंदर में डुबो-डुबोकर मारेंगे।" इस तरह की बयानबाजी ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

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