India-US Trade Deal: ट्रेड डील में मोदी-ट्रंप की दोस्ती का असर: रुपया बना दबंग, शेयर बाजार में उछाल

India-US Trade Deal - ट्रेड डील में मोदी-ट्रंप की दोस्ती का असर: रुपया बना दबंग, शेयर बाजार में उछाल
| Updated on: 23-Oct-2025 11:36 AM IST
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर बाजार में जबरदस्त उत्साह है, जिसका। सीधा असर भारतीय रुपये की मजबूती और शेयर बाजार में तेजी के रूप में दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सकारात्मक बातचीत के बाद यह उम्मीद जगी है कि अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ को घटाकर 15-16 फीसदी किया जा सकता है। इस खबर ने करेंसी मार्केट और शेयर बाजार दोनों में हलचल मचा दी है और

रुपये में आई रिकॉर्ड तेजी

गुरुवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे बढ़कर 87. 80 पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने इस तेजी का कारण विदेशी पूंजी प्रवाह, घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख और जोखिम-आधारित निवेशकों की मजबूत धारणा को बताया और सोमवार को रुपया 87. 93 पर बंद हुआ था। दिवाली और दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण मंगलवार और बुधवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद रहे थे और

ट्रंप-मोदी की दोस्ती का रंग

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने बताया कि अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के बाद भारतीय रुपया मजबूती से खुला। ट्रंप ने यह भी दावा किया है कि भारत रूसी तेल खरीद में कमी लाएगा। दोनों नेताओं ने व्यापार संबंधी मुद्दों पर फोन पर चर्चा की, जिसके बाद ट्रंप ने भारत-अमेरिका संबंधों को 'महान' बताया और 'महान सौदों' पर काम करने की बात कही। वाशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का टैरिफ़ लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ था, अब उसमें कमी आने की उम्मीद है।

शेयर बाजार में 800 अंकों की उछाल

इस सकारात्मक माहौल के चलते घरेलू शेयर बाजार में भी जबरदस्त तेजी देखी गई। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 800 अंक बढ़कर 85,200 अंकों के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी 198. 3 अंक बढ़कर 26,066 और 90 पर कारोबार कर रहा था। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 96. 72 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जो बाजार की इस तेजी में सहायक रहा। हालांकि, बाजार की धारणा सतर्क रहेगी क्योंकि व्यापारी वैश्विक संकेतों, अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और आरबीआई के मौद्रिक संकेतों पर नजर रखेंगे।

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