नॉलेज: भारत का वो बड़ा क्रिमिनल जिसने 97 पुलिस वालों को मारा था

नॉलेज - भारत का वो बड़ा क्रिमिनल जिसने 97 पुलिस वालों को मारा था
| Updated on: 04-Jul-2020 12:00 AM IST

कानपुर में विकास दुबे को गिरफ़्तार करने गई पुलिस टीम पर जिस तरह हमला हुआ, जिसमें एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए. इस मामले ने उस कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन की याद ताजा कर दी, जिसे पकड़ने जाने वाली पुलिस टीमों पर लगातार हमले होते थे. जिसमें आधिकारिक तौर पर 97 पुलिस वालों की जान गई थी. ये माना जाने लगा था कि उसे पकड़ना असंभव काम है.


आखिरकार 16 साल पहले चंदन और हाथी दांत के कुख्यात तस्कर कहे जाने वाले वीरप्पन को पुलिस की एक स्पेशल टीम ने मार गिराया. वो किवंदती बन चुका था. उसके इलाके के लिए लोग अगर उसे रॉबिनहुड मानते थे तो कुछ निर्दयी हत्यारा.  18 अक्टूबर, 2004 को उसकी कहानी जब खत्म हुई तो लोगों ने विश्वास ही नहीं किया.


ढेरों हाथी मारे, हजारों चंदन के पेड़ काटे

उसके बारे में बहुत ढेर सारी बातें कही जाती थीं. ये कहा जाता था उसने कुल दो हजार हाथी मारे ताकि उनके दांतों की तस्करी की जा सके. हजारों चंदन के पेड़ काट डाले. ना जाने कितने लोगों की हत्या कर दी. वीरप्पन रबड़ के जूते में पैसे भर के जमीन में गाड़कर रखता था.


पिछले 16 सालों में वीरप्पन पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं. कई फिल्में बन चुकी हैं. हालांकि उसकी मौत के साथ दफन हुए कई राज आज भी रहस्य हैं.


पहला कत्ल 10 साल की मासूम उम्र में

1962 में वीरप्पन ने 10 साल की उम्र में एक तस्कर का कत्ल कर दिया. ये उसका पहला अपराध था. उसी वक्त उसने फॉरेस्ट विभाग के भी तीन अफसरों को मारा. तब उसका नाम वीरैय्या हुआ करता था.  वो बहुत गरीब था. उसके गांव वाले कहते हैं कि फॉरेस्ट विभाग के लोगों ने ही उसे स्मगलिंग के लिए उकसाया.


वीरप्पन ने पत्नी का हाथ ससुर से बिल्कुल फिल्मी अंदाज में मांगा. जंगल में भागने के बाद उसने पत्नी को एक शहरी इलाके में रहने भेज दिया. अब गरीब वीरप्पन पुलिस, राजनीति और भ्रष्टाचार के मकड़जाल में फंसकर तस्कर वीरप्पन बन चुका था.


आमदनी का बड़ा हिस्सा बिचौलियों को देना पड़ता था

वीरप्पन ने जीवन में कई लोगों को किडनैप किया पर 1997 में सरकारी अफसर समझकर जिन दो लोगों को किडनैप किया वो फोटोग्राफर निकले. इन्होंने वीरप्पन के साथ 14 दिन जंगलों में गुजारे. इन लोगों ने बाद में इस घटना पर किताब भी लिखी थी, 'बर्ड्स, बीस्ट्स एंड बैंडिट्स'.


इसमें इन्होंने वीरप्पन की जो कहानियां बताईं, वो वीरप्पन के आतंक की कहानियों से हटकर थी. उन्होंने बताया कि वीरप्पन हाथियों को लेकर बहुत इमोशनल था. उसने इन फोटोग्राफरों को बताया था कि जंगल में जो भी होता है, उसे वीरप्पन के नाम पर मढ़ दिया जाता है.


उसने बताया था कि हाथियों का धंधा वो बहुत पहले छोड़ चुका है. 'फ्रंटलाइन' पत्रिका की एक रिपोर्ट को मानें तो वीरप्पन ने कुल मिलाकर 500 से ज्यादा हाथियों की हत्या नहीं की थी.


इससे उसे कुल 2.5 करोड़ से ज्यादा की आमदनी नहीं हुई थी. इस आमदनी का भी बड़ा हिस्सा उसे बिचौलियों और अपने राजनीतिक संरक्षण पर खर्च करना पड़ा था.


97 पुलिसवालों को मारा

1987 में वीरप्पन ने देश को तब हिलाकर रख दिया जब उसने चिदंबरम नाम के एक फॉरेस्ट अफसर को किडनैप किया. कुछ वक्त बाद उसने नृशंसता की हद दिखाई. एक पुलिस टीम को उड़ा दिया. जिसमें 22 लोग मारे गए. फिर 2000 में वीरप्पन ने कन्नड़ फिल्मों के हीरो राजकुमार को किडनैप कर लिया. रिहाई के लिए फिरौती रखी 50 करोड़ की.


वीरप्पन का रॉबिनहुड स्टाइल

खास बात ये थी कि वीरप्पन ने साथ ही बॉर्डर के इलाकों के लिए वेलफेयर स्कीम की भी मांग की. ये उसका रॉबिनहु़ड बनने का स्टाइल था. जंगलों में रहने वाले उसे रॉबिनहु़ड से कम मानते भी नहीं थे. जो उससे एक बार मिलता था, प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था.


20,000 से ज्यादा लोगों ने उसके शव को देखने आए थे

जिस रात वीरप्पन मारा गया उसके अगले दिन पोस्टमार्टम हाउस के बाहर उसकी लाश को देखने को 20 हजार से ज्यादा लोग लाइन लगे हुए थे. वीरप्पन को कुल 184 लोगों का हत्यारा बताया जाता है, जिनमें से 97 पुलिसवाले थे.


.इस तरह ट्रैप किया गया

तमिलनाडु और कर्नाटक सरकारों ने मिलाकर उस पर 5.5 करोड़ का इनाम रखा था. ऐसे में 2003 में जयललिता ने वीरप्पन को मारने के लिए विजय कुमार नाम के एक अफसर को एसटीएफ चीफ बनाया. विजय कुमार 1993 में भी वीरप्पन को पकड़ने के एक अभियान में शामिल थे, हालांकि सफल नहीं रहे थे.


विजय कुमार ने 'कोकून' नाम से एक ऑपरेशन चलाया. अपने कई एसटीएफ के साथियों को वीरप्पन के गैंग में भर्ती करा दिया. वीरप्पन की उम्र अब 52 साल हो गई थी. साथ ही गैंग आपसी झगड़ों में कमजोर हो रहा था. वीरप्पन को डायबिटीज थी. उसका स्वास्थ्य लगातार खराब हो रहा था.


जब मारा गया तब आंख का इलाज कराने जा रहा था

जब वीरप्पन मारा गया तो वो अपनी आंख का इलाज कराने जा रहा था. वीरप्पन के गैंग में शामिल एसटीएफ के लोगों ने उसे एंबुलेंस से सलेम के हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार किया था. इस एंबुलेंस में वीरप्पन बैठ गया. एसटीएफ का ही एक आदमी एंबुलेंस चला रहा था. रास्ते में खड़ी पुलिस की गाड़ियों के पास पहुंचते ही गाड़ी चला रहा एसटीएफ का आदमी गाड़ी रोककर भाग निकला.



इस तरह हुआ उसका अंत 

एसटीएफ चीफ विजय कुमार ने ऑपरेशन कोकून के सफल होने के बाद 'वीरप्पन: चेसिंग द ब्रिगेड' नाम की एक किताब लिखी. विजय कुमार कहते हैं, उन्होंने वीरप्पन को समर्पण करने को कहा लेकिन उसने गोलियां चलानी शुरू कर दीं. जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की. 20 मिनट बाद रात के 11 बजकर 10 मिनट पर वीरप्पन के चैप्टर का अंत हो गया.


वीरप्पन जब मारा गया तो उसकी मूंंछें 'कट्टाबोमन' (कट्टाबोमन 1857 के एक क्रांतिकारी थे, जिनकी तरह वीरप्पन की मूंछें थीं) मूंछें नहीं थीं. लोग मानते हैं कि वीरप्पन तब तक बहुत कमजोर हो चुका था.


जिन पुलिस वालों ने वीरप्पन के खिलाफ आखिरी मुठभेड़ और पकड़ने के अभियान में शिरकत की थी, उन्हें तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने तीन-तीन लाख रुपए दिए. सभी को प्रमोशन भी मिला. सभी को उनके गृहनगर में सरकार की तरफ से एक-एक घर भी मिला.


लेकिन ये अब तक रहस्य है कि वीरप्पन के पास कितनी संपत्ति थी. लोग बताते हैं कि उसके पास अकूत संपत्ति थी, जो उसने छिपाकर रखी थी.


वीरप्पन की बीवी ने चुनाव लड़ा लेकिन हार गई

वीरप्पन की मौत के बाद उसकी विधवा मुत्तुलक्ष्मी पर अपहरण से लेकर हत्या और तस्करी के मामलों में मददगार होने के मुकदमे चले लेकिन वो बरी हो गई. अब वो सलेम में सामाजिक कल्याण से कामों से जुड़ी हुई है. उसने 2006 में तमिलनाडु का विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गई. 2018 में उसने ग्रामीणों का एक संगठन बनाने की घोषणा की. उसकी दोनों बेटियां विद्यारानी और प्रभा तमिलनाडु के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रही हैं.


Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।