Haryana Election 2024: 3 का फेर और चौथे CM का इंतजार, कांग्रेस का हरियाणा से टूटेगा रिकॉर्ड?

Haryana Election 2024 - 3 का फेर और चौथे CM का इंतजार, कांग्रेस का हरियाणा से टूटेगा रिकॉर्ड?
| Updated on: 02-Oct-2024 07:30 PM IST
Haryana Election 2024: हरियाणा के चुनावी दंगल के आखिरी वक्त में कांग्रेस हाईकमान ने पूरी ताकत झोंक दी है. राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी प्रचार के मैदान में उतर चुके हैं. कहा जा रहा है कि तीनों ही नेता ओल्ड ग्रैंड पार्टी को 3 के फेर से बाहर निकालने के लिए मैदान में उतरे हैं.

4 साल से तीन के फेर में फंसी है कांग्रेस

2020 से कांग्रेस तीन के फेर में फंस गई है. तब से अब तक एक साथ कांग्रेस के 4 मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं. 2023 में कुछ दिन के लिए कांग्रेस की चार राज्यों में सरकार बनी थी, लेकिन साल के अंत तक पार्टी फिर 3 के आंकड़े पर ही पहुंच गई.

साल 2020 तक मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में सरकार चली गई. 2021 में कांग्रेस के पास राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में सरकार थी.

2022 में पंजाब से कांग्रेस की सरकार चली गई. हालांकि, साल के अंत में पार्टी को हिमाचल के चुनाव में जीत मिली और पार्टी फिर तीन अंकों में पहुंच गई. 2023 के कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस ने 3 के फेर को खत्म करने की कोशिश की.

हालांकि, 2023 के आखिर में हुए 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव ने ओल्ड ग्रैंड पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर दिया. पार्टी तेलंगाना छोड़ मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार गई. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार थी.

वर्तमान में कांग्रेस के पास कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल की सत्ता है.

हरियाणा से उम्मीद पर कर्नाटक ने डराया

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस को हरियाणा में अपने बूते सरकार बनने की उम्मीद है. यही वजह है कि आखिरी वक्त में कांग्रेस हाईकमान ने पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस हरियाणा में किसान, जवान और एंटी इनकंबैंसी के जरिए सत्ता में आने की कोशिशों में जुटी है.

कांग्रेस अगर हरियाणा में जीत दर्ज करती है तो लंबे वक्त के लिए 3 के फेर से पार्टी बाहर निकल जाएगी. क्योंकि, अब हिमाचल में 2027 और कर्नाटक-तेलंगाना में 2028 में विधानसभा के चुनाव होने हैं.

हालांकि, कांग्रेस को कर्नाटक में सत्ता जाने का डर भी सता रहा है. वहां के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भूमि घोटाले के एक आरोप में ईडी की जांच शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया पर अगर ईडी की बड़ी कार्रवाई होती है तो पार्टी के सामने सरकार बचाने को लेकर धर्मसंकट पैदा हो सकती है.

कर्नाटक कांग्रेस में आंतरिक राजनीति भी इसकी एक वजह बताई जा रही है.

बीजेपी के पास 13 राज्यों में सरकार

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की 13 राज्यों में सरकार है. बीजेपी अभी यूपी, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हरियाणा, असम, त्रिपुरा,गोवा, अरुणाचल, उत्तराखंड और मणिपुर की सत्ता में अकेले दम पर काबिज है.

गठबंधन के तहत बिहार, महाराष्ट्र और आंध्र में बीजेपी राज्य की सत्ता में है. पार्टी पुडुचेरी, नगालैंड और मिजोरम जैसे छोटे राज्यों में भी गठबंधन के जरिए सरकार में शामिल हैं.

वहीं कांग्रेस झारखंड और तमिलनाडु की सरकार में गठबंधन के जरिए शामिल है. हालांकि, तमिलनाडु कैबिनेट में कांग्रेस को हिस्सेदारी नहीं मिली है.

राज्य की सत्ता कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी?

एक सवाल यह भी है कि राज्य की सत्ता आखिर कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी है? दरअसल, फेडरल स्ट्रक्चर में दो वजहों से राज्य की सत्ता पार्टियों के लिए महत्वपूरण है. पहली वजह राज्यसभा में सांसद का पद है.

12 सांसदों को छोड़ बाकी के सभी सांसद विधानसभा के जरिए ही चुने जाते हैं. अगर पार्टी की ज्यादा राज्यों में सरकार बनती है तो उसका सीधा असर राज्यसभा के नंबर पर पड़ता है. वर्तमान में कांग्रेस के पास 26 राज्यसभा सांसद हैं.

दूसरी वजह संवैधानिक मजबूती है. केंद्र की सरकार अगर कोई संवैधानिक बदलाव करती है तो उसे राज्य से भी इसकी अनुमति लेनी होती है. राज्य के परमिशन के बाद ही पूरे तरीके से संशोधन लागू हो पाता है.

अगर ज्यादा राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकार होती है तो केंद्र संवैधानिक बदलाव करने से हिचकती है.

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