Rajasthan News: ‘Akbar’ महान या ‘Maharana Pratap’? अब Vasundhara Raje की नाराजगी, Ashok Gehlot सरकार पर साधा निशाना

Rajasthan News - ‘Akbar’ महान या ‘Maharana Pratap’? अब Vasundhara Raje की नाराजगी, Ashok Gehlot सरकार पर साधा निशाना
| Updated on: 30-Jun-2020 02:57 PM IST
जयपुर। प्रदेश की 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप से जुड़े संस्करण में हुए बदलाव के बाद सियासी बयानबाजियों का दौर चरम पर पहुंचा हुआ है। अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं। राजे ने राज्य सरकार की इस कवायद पर निशाना साधते हुए इसे ‘घोर निंदनीय’ की संज्ञा दी है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘’आरबीएससी की 10वीं कक्षा की पुस्तक में महाराणा प्रताप से जुड़ी सामग्री में बदलाव कर दुर्भावनावश युद्ध में अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करने वाले तथ्य हटाए गए हैं। साथ ही यह भ्रम पैदा किया गया है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी।‘’

‘प्रताप’ या ‘अकबर’ महान पर आमने-सामने

उन्होंने कहा, ‘’हल्दीघाटी के युद्ध में देश की आन-बान-शान के पर्याय महाराणा की जीत पर कोई संशय नहीं है। वे भारत के स्वाभिमान के प्रतीक हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा वोट बैंक के लिए शिक्षा का राजनीतिकरण व पाठ्यक्रम को तोड़ मरोड़कर पेश करना मेवाड़ की शौर्य गाथाओं पर सीधा प्रहार है।‘’

सरकारी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में सरकारों के बदलाव के साथ ही बदलाव किये जा रहे हैं। खासतौर से 10 वीं की पाठ्यपुस्तक में कई बार बदलाव होते रहे हैं। कभी छात्रों को ‘महाराणा प्रताप’ के शौर्य के किस्से पढने पढ़ रहे हैं तो कभी ‘अकबर’ महान के। in सियासी उलझनों के बीच मुसीबत छात्रों के बीच बनी हुई है जो असमंजस की स्थिति में रहते हैं।

ये हुआ है बदलाव

गहलोत सरकार ने मौजूदा पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किये हैं, जिसमें बताया गया है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप अकबर के खिलाफ लड़े तो थे पर युद्ध जीत नहीं पाए थे। जबकि पिछली बीजेपी सरकार ने 2017 में सिलेबस में बदलाव करते हुए बताया था कि महाराणा प्रताप की सेना ने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर पर विजय प्राप्त की थी। दसवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान की किताब में महाराणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध के जीतने के बारे में उल्लेख किए गए तथ्यों को भी हटा दिया गया है। यही नहीं इस किताब में यह भी साफ कर दिया गया है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ युद्ध कोई धार्मिक युद्ध नहीं था बल्कि वह एक राजनीतिक युद्ध था।

पूर्व राजघराने, प्रताप के वंशज और इतिहासकार भी जता चुके आपत्ति

पाठ्यक्रम में हुए इस बदलाव पर मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य, महाराणा प्रताप के वंशज और इतिहासकार भी एतराज़ जता रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि इस तरह किताब से महाराणा प्रताप और चेतक घोड़े से जुड़े अनछुए पहलुओं और तथ्यों को हटाना गलत है। सरकार के इस कदम से आने वाली पीढ़ी को महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास का ज्ञान पूरा नहीं मिल पाएगा। वर्ष 2017 की किताब में प्रताप के हल्दीघाटी के युद्ध एव चेतक घोड़े की वीरता का वर्णन पूरा था लेकिन वर्ष 2020 के संस्करण में प्रताप और चेतक की वीरता को काट-छांट कर उसे कम कर दिया गया है।

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