Lok Sabha Election: नंदीग्राम में हिंसा, बीजेपी की महिला कार्यकर्ता की धारदार हथियार से हमले में मौत

Lok Sabha Election - नंदीग्राम में हिंसा, बीजेपी की महिला कार्यकर्ता की धारदार हथियार से हमले में मौत
| Updated on: 23-May-2024 12:38 PM IST
Lok Sabha Election: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बीच आरक्षण पर घमासान छिड़ा है। इस बीच, सियासी खून-खराबे की घटना भी सामने आई हैं। नंदीग्राम में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर धारदार हथियारों से हमला हुआ है। हमला करने का आरोप टीएमसी  (TMC) कार्यकर्ताओं पर लगा है। हमले में बीजेपी की एक महिला कार्यकर्ता की मौत हो गई, जबकि 7 लोग घायल हुए हैं। हमले के विरोध में बीजेपी ने आगजनी की और TMC के खिलाफ नारेबाजी भी की। वहीं, TMC इस हिंसा को पारिवारिक विवाद बता रही है, लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में हार को देखते हुए TMC बौखलाहट में ऐसे हमले कर रही है। इलाके में तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है।

पांचवें चरण के चुनाव में भी हिंसा

वहीं, राज्य में पांचवें चरण की वोटिंग के दौरान 20 मई को भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं। बैरकपुर, बनगांव और आरामबाग सीटों के विभिन्न हिस्सों में टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई। आरामबाग निर्वाचन क्षेत्र के खानाकुल इलाके में मतदान एजेंट को मतदान केंद्रों में प्रवेश करने से रोकने को लेकर टीएमसी और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प हो गई। सुरक्षाकर्मियों ने इलाके से दो देसी बम भी बरामद किए। हावड़ा निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आईं। हावड़ा के लिलुआ इलाके में भाजपा ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर बूथ जाम करने का आरोप लगाया, जिससे दोनों समूहों के बीच झड़प हुई। बनगांव निर्वाचन क्षेत्र के गायेशपुर इलाके में स्थानीय भाजपा नेता सुबीर बिस्वास को एक बूथ के बाहर कथित तौर पर टीएमसी के गुंडों ने पीटा। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

ओबीसी सर्टिफिकेट हुआ रद्द 

वहीं, बीत दिन कलकत्ता हाई कोर्ट से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बड़ा झटका लगा। हाई कोर्ट ने 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये सर्टिफिकेट किसी नियम का पालन किए बिना दिए गए थे। कोर्ट ने 2010 के बाद दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने का आदेश दिया है, जबिक 2011 से ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।

2012 में ममता सरकार ने एक कानून लागू किया था। ये कानून सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। इसके कुछ प्रावधानों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने 2012 के उस कानून के एक प्रावधान को भी रद्द कर दिया। ये प्रावधान OBC-A और OBC-B नाम से दो कैटेगरी बनाता था, जिसमें कई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था।

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