Special Intensive Revision: मतदाता सूची में बड़ा बदलाव: मध्य प्रदेश में 42 लाख से अधिक नाम कटे, वेबसाइट पर तकनीकी दिक्कत
Special Intensive Revision - मतदाता सूची में बड़ा बदलाव: मध्य प्रदेश में 42 लाख से अधिक नाम कटे, वेबसाइट पर तकनीकी दिक्कत
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न राज्यों और केंद्र। शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों को अद्यतन और शुद्ध करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस महत्वपूर्ण कार्य का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूचियां सटीक, वर्तमान और त्रुटियों, डुप्लिकेट या मृत या स्थानांतरित मतदाताओं की प्रविष्टियों से मुक्त हों। इस पुनरीक्षण के नवीनतम चरण में कई क्षेत्रों के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूचियां जारी की गई हैं,। जिसमें बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने का खुलासा हुआ है, जिसमें मध्य प्रदेश एक प्रमुख उदाहरण है।
मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए
मध्य प्रदेश राज्य में अपनी मतदाता सूची में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची के अनुसार, राज्य की मतदाता सूची से चौंका देने वाले 42. 74 लाख नाम हटाए गए हैं। इस आंकड़े में 19. 19 लाख पुरुष मतदाता और 23 और 64 लाख महिला मतदाता शामिल हैं, जो जनसांख्यिकीय स्पेक्ट्रम में व्यापक प्रभाव का संकेत देता है। इन नामों को हटाने के कारणों में आमतौर पर मृत मतदाता, वे लोग जो निवास स्थान बदल चुके हैं, डुप्लिकेट प्रविष्टियां, या वे व्यक्ति शामिल हैं जो अपने पंजीकृत पते से लापता पाए गए हैं। इसके अलावा, ड्राफ्ट सूची में यह भी बताया गया है कि अतिरिक्त 8. 40 लाख नाम वर्तमान में अनमैप्ड हैं, जो संभावित विसंगतियों या अधूरे डेटा का सुझाव देते हैं जिन्हें आगे सत्यापन और समाधान की आवश्यकता है।
यह बड़े पैमाने पर विलोपन लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता के लिए महत्वपूर्ण एक मजबूत और सटीक चुनावी डेटाबेस बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है औरवेबसाइट की तकनीकी दिक्कतें मतदाता खोज में बाधा
ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के साथ ही दुर्भाग्यवश आधिकारिक वेबसाइट पर तकनीकी दिक्कतें भी सामने आईं, जिससे नागरिकों को अपने विवरण सत्यापित करने में असुविधा हुई। उपयोगकर्ताओं ने बताया कि वेबसाइट पर पहुंचने पर, उनका इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर दर्ज करने पर कैप्चा तो आता है, लेकिन उसे सबमिट करने पर अपेक्षित मतदाता विवरण नहीं मिलता। इसके बजाय, सिस्टम बार-बार कैप्चा प्रस्तुत करता रहता है, जिससे EPIC नंबर का उपयोग करके खोज प्रभावी रूप से बाधित हो जाती है। इस तकनीकी खराबी ने उपयोगकर्ताओं को एक वैकल्पिक तरीके का सहारा लेने। के लिए मजबूर किया: अपने मोबाइल नंबर दर्ज करके मतदाता विवरण खोजना। यह समस्या, हालांकि मामूली लग सकती है, बड़ी संख्या में मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा कर सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके मोबाइल नंबर लिंक नहीं हैं या जो सत्यापन के लिए अपने EPIC का उपयोग करना पसंद करते हैं, जो ऐसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक अभ्यासों के दौरान मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता को उजागर करता है।केरल, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार के लिए आगामी ड्राफ्ट सूचियां
चुनाव आयोग के पुनरीक्षण प्रयास जारी हैं, और अधिक ड्राफ्ट सूचियां प्रकाशन के लिए निर्धारित हैं। मध्य प्रदेश के बाद, चुनाव आयोग आज केरल, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूचियां प्रकाशित करने वाला है। छत्तीसगढ़ के लिए भी उम्मीदें अधिक हैं, जहां हटाए गए नामों की संख्या भी लाखों। में होने की उम्मीद है, जो अन्य राज्यों में देखे गए रुझान को दर्शाता है।
ये आगामी प्रकाशन चुनावी सूचियों को अद्यतन करने की निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे इन क्षेत्रों में पात्र मतदान आबादी को सटीक रूप से दर्शाते हैं। इन सूचियों के प्रकाशन से दावों और आपत्तियों की अवधि शुरू होगी, जिससे नागरिकों को अपनी प्रविष्टि सत्यापित करने और आवश्यक सुधार करने की अनुमति मिलेगी औरचुनावों से पहले केरल का व्यापक पुनरीक्षण
केरल, एक ऐसा राज्य जहां क्षितिज पर महत्वपूर्ण चुनावी गतिविधि है, एक विशेष रूप से व्यापक पुनरीक्षण से गुजर रहा है। 2025 के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार मतदाता सूची में पहले से ही 2. 86 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) के तहत, राज्य की मतदाता सूची का 99% से अधिक डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है, जो प्रक्रिया को आधुनिक बनाने और सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस व्यापक डिजिटलीकरण प्रयास से मतदाता सूची से लगभग 25 लाख नाम हटाए जाने की उम्मीद है। यह पुनरीक्षण विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि राज्य अपने विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है, जो केरल विधानसभा की सभी 140 सीटों के लिए 2026 में होने वाले हैं और इन सूचियों की सटीकता स्थानीय और राज्य दोनों स्तरों पर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सर्वोपरि होगी।एक राष्ट्रव्यापी प्रयास: सात राज्यों में 2. 70 करोड़ से अधिक नाम हटाए गए
विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण का पैमाना वास्तव में राष्ट्रीय है, जिसमें चुनाव आयोग ने पहले ही सात अन्य राज्यों: पश्चिम बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, गोवा, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूचियां जारी की हैं। विभिन्न कारणों से इन राज्यों में कुल मिलाकर 2 और 70 करोड़ से अधिक नाम उनकी ड्राफ्ट चुनावी सूचियों से हटाए गए हैं।
यह बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चुनाव आयोग के लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करता है, यह सुनिश्चित करके कि अंतिम सूचियों में केवल पात्र मतदाता ही शामिल हों। महत्वपूर्ण संख्याएं चुनावी सूचियों को अद्यतन रखने में लगातार चुनौतियों और विसंगतियों को सुधारने में शामिल व्यापक कार्य को उजागर करती हैं।प्रमुख राज्यों में विस्तृत नाम हटाना
इन सात राज्यों में हटाए गए नामों का विवरण पुनरीक्षण की भयावहता में और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है:तमिलनाडु का बड़ा शुद्धिकरण
तमिलनाडु में सबसे महत्वपूर्ण शुद्धिकरणों में से एक का अनुभव हुआ है, जिसमें इसकी ड्राफ्ट चुनावी सूची से 97 लाख से अधिक नाम हटाए गए हैं। SIR से पहले, राज्य में मतदाताओं की संख्या 6 और 41 करोड़ थी। इस व्यापक पुनरीक्षण के बाद, यह संख्या घटकर 5. 43 करोड़ हो गई है। अद्यतन सूची में अब 2. 66 करोड़ पुरुष मतदाता, 2. 77 करोड़ महिला मतदाता और 7,191 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं, जो राज्य की चुनावी जनसांख्यिकी में एक पर्याप्त समायोजन को दर्शाता है और यह कमी मतदाता डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा की गई कठोर सत्यापन प्रक्रिया को उजागर करती है।गुजरात की पर्याप्त कमी
गुजरात में भी मतदाताओं की संख्या में पर्याप्त कमी देखी गई, जिसमें नई SIR सूची से 73. 73 लाख से अधिक नाम हटाए गए। राज्य, जिसमें पहले 5. 08 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता थे, अब 4. 34 करोड़ मतदाताओं को दर्ज करता है। यह महत्वपूर्ण कमी चुनावी सूचियों की गहन समीक्षा का संकेत देती है, जिसका उद्देश्य डुप्लिकेट प्रविष्टियों, मृत व्यक्तियों और उन। लोगों को हटाना है जो स्थायी रूप से निवास स्थान बदल चुके हैं, जिससे मतदाता डेटाबेस की विश्वसनीयता बढ़ रही है।पश्चिम बंगाल के वर्गीकृत नाम हटाना
पश्चिम बंगाल में अपनी मतदाता सूची से 58.
20 लाख नाम हटाए गए, जिसमें इन विलोपनों के पीछे के कारणों का विस्तृत वर्गीकरण किया गया। एक महत्वपूर्ण 24. 16 लाख नाम मृत मतदाताओं के थे, जबकि 19. 88 लाख मतदाता अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो गए थे। इसके अतिरिक्त, 12. 20 लाख मतदाताओं को लापता के रूप में वर्गीकृत किया गया था, 1. 38 लाख नाम डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों के रूप में पहचाने। गए थे, और 57,604 नाम अन्य विविध कारणों से हटाए गए थे। यह विस्तृत विवरण बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण में योगदान करने वाले विभिन्न कारकों में पारदर्शिता प्रदान करता है।राजस्थान के महत्वपूर्ण विलोपन
राजस्थान की ड्राफ्ट SIR सूची में भी बड़ी संख्या में विलोपन दर्ज किए गए, जिसमें 41. 85 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए। ड्राफ्ट सूची के साथ अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और पहले से नामांकित मतदाताओं के लिए विशिष्ट सूचियां भी थीं, जिससे विलोपन की श्रेणियों की स्पष्ट समझ में सुविधा हुई और राजनीतिक दलों और नागरिकों द्वारा लक्षित सत्यापन की अनुमति मिली।गोवा का लक्षित पुनरीक्षण
गोवा में, 11 और 85 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 10. 84 लाख ने फॉर्म जमा किए थे, जो पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी का संकेत देता है। सूची से 1 लाख से अधिक नाम हटाए गए, जिनमें मृत, अनुपस्थित, स्थायी रूप से स्थानांतरित और डुप्लिकेट मतदाता शामिल थे। विशेष रूप से, उत्तरी गोवा में 44,639 नाम हटाए गए, और दक्षिणी गोवा में 55,403 नाम हटाए गए, जो पुनरीक्षण के लिए एक सावधानीपूर्वक जिला-वार दृष्टिकोण को दर्शाता है औरपुडुचेरी का चुनावी रोल अपडेट
पुडुचेरी की ड्राफ्ट सूची में 1. 03 लाख से अधिक नाम हटाए गए, जिससे मतदाताओं की कुल संख्या 9. 18 लाख हो गई।
सबसे अधिक विलोपन पुडुचेरी जिले में हुए, लेकिन कराईकल, माहे और यानम में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया, जो केंद्र शासित प्रदेश में एक व्यापक पुनरीक्षण का संकेत देता है औरलक्षद्वीप का छोटे पैमाने का पुनरीक्षण
लक्षद्वीप, अपनी छोटी आबादी के साथ, भी एक पुनरीक्षण से गुजरा। 27 अक्टूबर तक, कुल 58,000 मतदाता पंजीकृत थे। ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के बाद, 56,384 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल पाए गए, जिसका अर्थ है कि सूची से 1,616 नाम हटाए गए और यह दर्शाता है कि छोटे चुनावी निर्वाचन क्षेत्र भी उसी कठोर सत्यापन प्रक्रिया के अधीन हैं।पुनरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा उपाय
चुनाव आयोग विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया पर जोर देता है। ड्राफ्ट और अंतिम मतदाता सूचियां, साथ ही दावों और आपत्तियों की सूचियां, सार्वजनिक पहुंच के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की जाती हैं और महत्वपूर्ण रूप से, ये सूचियां राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती हैं, जिससे उन्हें डेटा की जांच करने, आपत्तियां उठाने और अपने घटकों को उनके विवरण सत्यापित करने में सहायता करने में सक्षम बनाया जाता है। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण चुनावी सूचियों की विश्वसनीयता को बढ़ाता है औरविसंगतियों के लिए अपील तंत्र
गलत विलोपन या चूक के खिलाफ सुरक्षा के लिए, एक मजबूत अपील तंत्र मौजूद है। यदि किसी मतदाता का नाम हटा दिया जाता है या शामिल नहीं किया जाता है, तो उन्हें निर्णय के खिलाफ अपील करने का अधिकार है। प्रारंभ में, चुनावी पंजीकरण अधिकारी (ERO) के निर्णय के खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील की जा सकती है। आगे की अपील मुख्य चुनावी अधिकारी (CEO) के पास की जा। सकती है, जिससे समीक्षा और निवारण के कई स्तर सुनिश्चित होते हैं।
यह बहु-स्तरीय प्रणाली नागरिकों को अपने मतदान अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रदान करती है।नाम हटाने से पहले उचित परिश्रम
चुनाव आयोग के पास यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रोटोकॉल हैं कि कोई भी वैध मतदाता वंचित न हो और यदि किसी मतदाता के दस्तावेज रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते हैं, तो ERO को संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी करने का आदेश दिया जाता है। इस नोटिस के बाद एक गहन जांच की जाती है, और केवल एक व्यापक। जांच के बाद ही नाम जोड़ने या हटाने के संबंध में निर्णय लिया जाता है। EC द्वारा बनाए रखा गया एक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि उचित सुनवाई के बिना कोई भी नाम नहीं हटाया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक मतदाता को अपना मामला प्रस्तुत करने और अपनी पात्रता सत्यापित करने का अवसर मिले। उचित प्रक्रिया के प्रति यह प्रतिबद्धता चुनावी प्रणाली में सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के लिए मौलिक है। चल रहा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों का प्रमाण है। जबकि बड़ी संख्या में नाम हटाना भारी लग सकता है, यह सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम है कि भारत की लोकतांत्रिक नींव मजबूत बनी रहे, जो सटीक और विश्वसनीय मतदाता सूचियों पर आधारित हो। नागरिकों को उपलब्ध संसाधनों और अपील तंत्र का उपयोग करके सत्यापन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि चुनावी रोल पर उनका सही स्थान सुनिश्चित हो सके।