Nagpur Violence: क्यों भड़की नागपुर में हिंसा, क्या थी अफवाह, कैसे जला शहर, जानिए सब कुछ

Nagpur Violence - क्यों भड़की नागपुर में हिंसा, क्या थी अफवाह, कैसे जला शहर, जानिए सब कुछ
| Updated on: 18-Mar-2025 09:41 AM IST

Nagpur Violence: नागपुर, जिसे शांति और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक माना जाता है, सोमवार को अचानक हिंसा के चपेट में आ गया। औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए किए गए प्रदर्शन के दौरान एक धर्मग्रंथ जलाए जाने की अफवाह के बाद स्थिति बिगड़ गई। इस घटना से उपजे तनाव ने शहर को झकझोर कर रख दिया, जिसमें तीन पुलिसकर्मियों समेत नौ लोग घायल हो गए।

हिंसा की शुरुआत और घटनाक्रम

सोमवार देर शाम, बजरंग दल के सदस्यों ने महल इलाके में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। तभी यह अफवाह फैली कि आंदोलन के दौरान किसी धर्मग्रंथ को जलाया गया है। सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रहे वीडियो ने मुस्लिम समुदाय में आक्रोश भड़का दिया, और देखते ही देखते भीड़ सड़कों पर उतर आई।

स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की, लेकिन हालात बेकाबू हो गए। चिटनिस पार्क से शुक्रवारी तालाब रोड तक, हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई। उपद्रवियों ने दुकानों में तोड़फोड़ की, वाहनों को आग के हवाले कर दिया और पुलिस बल पर भी हमला किया। हालात को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

शहर में कर्फ्यू लागू

स्थिति को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने नागपुर के संवेदनशील इलाकों—कोतवाली, गणेशपेठ, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरा नगर और कपिल नगर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया। पुलिस आयुक्त डॉ. रविंद्र कुमार सिंगल ने स्पष्ट किया कि कर्फ्यू अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

पुलिस उपायुक्त निकेतन कदम समेत तीन पुलिसकर्मी इस हिंसा में गंभीर रूप से घायल हो गए। हिंसा में शामिल 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया और तलाशी अभियान जारी है। त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT), दंगा नियंत्रण पुलिस, और राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) को तैनात किया गया है।

राजनीतिक बयानबाजी और समाजिक प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शांति बनाए रखने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।

वहीं, कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने इस हिंसा को गृह विभाग की विफलता करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ दिनों से भड़काऊ भाषण दिए जा रहे थे, जिससे तनाव की स्थिति बनी। शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने भी राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए।

सामाजिक सद्भाव की चुनौती

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हिंसा सुनियोजित प्रतीत हो रही थी। नकाबपोश उपद्रवियों ने दुकानों और घरों पर हमला किया, जिससे शहर में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया।

नागपुर, जो हमेशा से शांति और एकता का केंद्र रहा है, इस हिंसा के बाद एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। प्रशासन, पुलिस और आम नागरिकों को मिलकर इस संकट से निपटने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

निष्कर्ष

सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और असंतोष की आग ने नागपुर को हिला कर रख दिया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अफवाहों के प्रभाव को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस संकट के बीच, शांति और सौहार्द बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। प्रशासन को भी चाहिए कि वह पारदर्शिता के साथ स्थिति को संभाले और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। केवल इसी तरह हम एक सशक्त और सौहार्दपूर्ण समाज की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

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