Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की प्रमुख फाइनेंशियल सर्विस कंपनी, टाटा कैपिटल, 6 अक्टूबर 2025 को अपना 15,512 करोड़ रुपये का आईपीओ लॉन्च करने जा रही है। यह टाटा ग्रुप का लगभग दो दशकों में दूसरा आईपीओ है, जो निवेशकों के बीच उत्साह और सतर्कता दोनों को जन्म दे रहा है। टाटा ग्रुप के शेयरों के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए, निवेशकों के लिए इस आईपीओ में दांव लगाना आकर्षक लग सकता है। हालांकि, टाटा टेक्नोलॉजीज के 2023 के आईपीओ के अनुभव ने दिखाया कि ब्लॉकबस्टर लिस्टिंग हमेशा स्थायी लाभ की गारंटी नहीं देती। आइए, इस आईपीओ के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालते हैं।
नवंबर 2023 में, टाटा टेक्नोलॉजीज का आईपीओ बाजार में आया था, जो टाटा ग्रुप का दो दशकों में पहला सार्वजनिक निर्गम था। यह अपने इश्यू प्राइस से 140% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ, जिसने निवेशकों में जबरदस्त उत्साह पैदा किया। लेकिन यह तेजी ज्यादा समय तक कायम नहीं रही। दो साल बाद, टाटा टेक अपने लिस्टिंग प्राइस से लगभग 43% नीचे कारोबार कर रहा है। यह दर्शाता है कि बड़े नामों के साथ भी लिस्टिंग के बाद करेक्शन का जोखिम बना रहता है। इस पृष्ठभूमि में, निवेशक टाटा कैपिटल के आईपीओ को लेकर सावधानी और आशावाद के मिश्रण के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
टाटा कैपिटल का आईपीओ 6 अक्टूबर 2025 को खुलेगा, जिसमें 310-326 रुपये के प्राइस बैंड के साथ 15,512 करोड़ रुपये का इश्यू शामिल है। इसमें 6,846 करोड़ रुपये का ताजा इश्यू और टाटा संस व इंटरनेशनल फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (आईएफसी) द्वारा 8,666 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शामिल है। यह आईपीओ टाटा ग्रुप की फाइनेंशियल सर्विसेज शाखा को और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।
टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) है, जिसकी जून 2025 तक ग्रॉस लोन बुक 2.33 लाख करोड़ रुपये की है। कंपनी का लोन पोर्टफोलियो रिटेल और छोटे व मध्यम उद्यमों (एसएमई) की ओर केंद्रित है, जो इसकी कुल लोन बुक का 87% से अधिक हिस्सा है।
विस्तृत नेटवर्क: कंपनी के पास 1,516 शाखाएं, 30,000 डायरेक्ट सेलिंग एजेंट (डीएसए), 400 मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ गठजोड़ और 60 डिजिटल भागीदार हैं।
विविध लोन प्रोडक्ट्स: टाटा कैपिटल 25 से अधिक लोन सॉल्यूशंस प्रदान करती है, जिसमें पर्सनल लोन, होम लोन, ऑटो लोन, एसएमई लोन और इंफ्रास्ट्रक्चर लोन शामिल हैं।
मर्जर का प्रभाव: टाटा मोटर्स फाइनेंस के साथ हालिया मर्जर ने कंपनी की ऑटो फाइनेंस सेगमेंट में पहुंच को और मजबूत किया है।
टाटा कैपिटल को टाटा ब्रांड की मजबूती और विश्वसनीयता का समर्थन प्राप्त है। कंपनी को प्रमुख रेटिंग एजेंसियों से ‘AAA/स्थिर’ क्रेडिट रेटिंग मिली है, जो इसकी वित्तीय स्थिरता को दर्शाती है।
आय में वृद्धि: वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने 25,720 करोड़ रुपये की ब्याज आय हासिल की, जो पिछले वर्ष के 16,366 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।
शुद्ध लाभ: शुद्ध लाभ 3,327 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2024) से बढ़कर 3,655 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2025) हो गया।
नेट इंटरेस्ट मार्जिन: यह 5.6% तक बढ़ा, जो कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी को दर्शाता है।
रिटर्न रेश्यो: मर्जर के बाद रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) में कमी आई, लेकिन यह अभी भी 12.6% के स्वस्थ स्तर पर है।
हालांकि टाटा कैपिटल की स्थिति मजबूत है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
कड़ी प्रतिस्पर्धा: बजाज फाइनेंस (19.2% आरओई) और श्रीराम फाइनेंस जैसे दिग्गजों से टाटा कैपिटल को कड़ा मुकाबला मिल रहा है। इसका 12.6% आरओई प्रतिस्पर्धियों से पीछे है।
जोखिम: कंपनी के लोन बहीखाते का 20% हिस्सा असुरक्षित लोन से आता है, जो उच्च जोखिम वाला हो सकता है। इसके अलावा, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और परिसंपत्ति-देयता असंतुलन भी चिंता का विषय हैं।
पोस्ट-मर्जर एकीकरण: टाटा मोटर्स फाइनेंस के साथ मर्जर के बाद ऑटो फाइनेंस सेगमेंट का एकीकरण और प्रॉफिटेबिलिटी बनाए रखना एक चुनौती है।
विश्लेषकों का मानना है कि टाटा कैपिटल का आईपीओ दीर्घकालिक निवेश के लिए आकर्षक हो सकता है। एसबीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, कंपनी की मजबूत पैरेंटेज, डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो और ओमनी-चैनल डिस्ट्रीब्यूशन इसे स्थिर और भरोसेमंद बनाता है। हालांकि, निवेशकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
ब्रांड विश्वास: टाटा ब्रांड का नाम निवेशकों को आकर्षित करता है, लेकिन टाटा टेक्नोलॉजीज के अनुभव से सावधानी बरतने की जरूरत है।
लंबी अवधि का दृष्टिकोण: टाटा कैपिटल का पैमाना, ब्रांड विश्वास और मजबूत बुनियादी सिद्धांत इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
जोखिम प्रबंधन: असुरक्षित लोन और प्रतिस्पर्धा जैसे जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने पर विचार करना चाहिए।