Aaj Ka Panchang 14 May 2022 / आज का शुभ मुहूर्त, राहुकाल, पंचांग और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

Zoom News : May 14, 2022, 08:50 AM
Panchang 14 May 2022 : 14 मई 2022, दिन शनिवार, वैशाख मास, शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी तिथि 15.22 बजे तक फिर चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. चित्रा नक्षत्र 17.28 तक फिर स्वाति नक्षत्र की शुरुआत होगी. चंद्रमा कन्या राशि में 6.13 बजे तक रहेंगे फिर तुला राशि में गमन कर जाएंगे और भगवान सूर्य मेष राश‍ि में व‍िराजमान हैं. अभिजित मुहूर्त का समय होगा दोपहर 11.51 से 12.45 बजे तक. इस दौरान आप कोई भी महत्वपूर्ण या कोई शुभ काम करना चाहें तो कर सकते हैं. राहुकाल का समय होगा 08.54 से 10.36  बजे तक. राहुकाल में माना जाता है क‍ि महत्वपूर्ण या शुभ काम करने से बचना चाह‍िए. द‍िशा शूल रहेगा पूर्व. इसल‍िए पूर्व द‍िशा की यात्रा करने से बचें.


नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।


वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 


योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।


करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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