Aaj Ka Panchang 15 May 2022 / आज का शुभ मुहूर्त, राहुकाल, पंचांग और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

Zoom News : May 15, 2022, 08:37 AM
हिंदू धर्म में ज्योतिष का विशेष महत्व है क्योंकि इसी के माध्मय से शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त आदि निकाला जाता है। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र बहुत विशाल है। इसकी कई शाखाएं भी हैं, जिनके बारे में जानना और समझना बहुत ही मुश्किल है। इन सभी को संक्षिप्त रूप में पंचांग में समाहित किया गया है। पंचांग में वो सभी जानकारी आसानी से मिल जाती है, जो हमारे लिए जरूरी है। ग्रह- नक्षत्रों से संबंधित पूरी जानकारी भी पंचांग से पता की जा सकती है। ज्योतिषियों के अनुसार हर साल का नया पंचांग बनाया जाता है, लेकिन ये अंग्रेजी कैलेंडर पर आधारित न होकर हिंदू नववर्ष पर आधारित होता है। पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है, इसीलिए इसे पंचांग कहते हैं- ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग।


पंचांग के पांच अंग तिथि

हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।


नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।


वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 


योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।


करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।


15 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)

यम गण्ड- 12:23 PM – 2:01 PM

कुलिक- 3:40 PM – 5:18 PM

दुर्मुहूर्त- 05:11 PM – 06:04 PM

वर्ज्यम्- 08:39 PM – 10:05 PM


चंद्रमा से बनता है ये अशुभ योग

ज्योतिष शास्त्र में अनेक अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। ऐसा ही एक अशुभ योग है केमद्रुम। ये अशुभ योग चंद्रमा के कारण बनता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है, उसे पत्नी, संतान, धन, घर, वाहन, व्यवसाय, माता-पिता आदि से सुख प्राप्त नहीं होता। यदि कोई बहुत धनवान परिवार से संबंधित है और उसकी कुंडली केमद्रुम योग है तो वह धन का सुख प्राप्त नहीं कर पाएगा। जानिए कैसे बनता है ये योग…


  • कुंडली में जब चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश इन दोनों भावों में कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है।
  • चंद्र की किसी ग्रह से युति न हो या चंद्र पर किसी शुभ की दृष्टि नहीं पड़ रही हो तो केमद्रुम योग बनता है।
  • केमद्रुम योग में छाया ग्रह राहु-केतु की गणना नहीं की जाती है।

15 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें

विक्रमी संवत- 2079

मास पूर्णिमांत- वैशाख

पक्ष- शुक्ल

दिन- रविवार

ऋतु- ग्रीष्म

नक्षत्र- स्वाती और विशाखा

करण- वणिज और विष्टि

सूर्योदय - 5:49 AM

सूर्यास्त - 6:56 PM

चन्द्रोदय - 15 6:16 PM

चन्द्रास्त - 16 5:40 AM

अभिजीत मुहूर्त- 11:56 AM – 12:49 PM


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