IND vs ENG / लॉर्ड्स हारकर मैनचेस्टर में तो अब और भी बड़ा संकट, कैसे होगी सीरीज बराबर

भारत और इंग्लैंड के बीच चौथा टेस्ट 23 जुलाई से मेनचेस्टर में होगा। भारत यहां 9 टेस्ट में कभी नहीं जीता। इंग्लैंड को इस मैदान पर 33 जीत मिली हैं। जो रूट का रिकॉर्ड भी शानदार है। भारतीय टीम पर दबाव है, लेकिन अब उसके पास वापसी का आखिरी मौका है।

IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का रोमांच अपने चरम पर है। अब तक तीन टेस्ट खेले जा चुके हैं, जिसमें भारतीय टीम को लीड्स और लॉर्ड्स में हार का सामना करना पड़ा है। अब बारी है चौथे टेस्ट की, जो 23 जुलाई से मेनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेला जाएगा। इस मैदान के आंकड़े भारतीय प्रशंसकों के लिए चिंता का सबब हो सकते हैं, क्योंकि भारत का यहां रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक रहा है। दूसरी ओर, इंग्लैंड के लिए यह मैदान घरेलू किला साबित होता है। आइए, इस रोमांचक मुकाबले से पहले दोनों टीमों के आंकड़ों और चुनौतियों पर नजर डालते हैं।

मेनचेस्टर: भारत के लिए अभिशाप या अवसर?

भारतीय टीम ने मेनचेस्टर में अपना पहला टेस्ट 1936 में खेला था। तब से लेकर 2014 तक भारत ने यहां कुल 9 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन एक भी जीत नसीब नहीं हुई। इनमें से 5 मैच हार गए और 4 ड्रॉ रहे। पिछले 11 साल से भारतीय टीम इस मैदान पर नहीं खेली है, जिससे कई मौजूदा खिलाड़ियों के लिए यह मैदान नया होगा। यह अनुभवहीनता भारतीय थिंक टैंक के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। हालांकि, तीसरे और चौथे टेस्ट के बीच का अंतराल भारतीय टीम को रणनीति बनाने का मौका देता है।

क्या भारतीय बल्लेबाज इस बार मेनचेस्टर की चुनौतीपूर्ण पिच पर रन बना पाएंगे? क्या गेंदबाज इंग्लैंड के मजबूत बल्लेबाजी क्रम को रोक पाएंगे? ये सवाल भारतीय प्रशंसकों के मन में बार-बार उठ रहे हैं।

इंग्लैंड का दबदबा: मेनचेस्टर में आंकड़े बोलते हैं

इंग्लैंड के लिए मेनचेस्टर का ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान किसी किले से कम नहीं। इंग्लैंड ने यहां अब तक 84 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें 33 में जीत हासिल की, 15 में हार का सामना किया, और 36 ड्रॉ रहे। यह मैदान इंग्लैंड का होम ग्राउंड है, जहां उनके खिलाड़ी परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इंग्लैंड की पिचें आमतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद करती हैं, और मेनचेस्टर में बादल छाए रहने पर स्विंग गेंदबाजी और भी घातक हो सकती है। भारतीय बल्लेबाजों को जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड जैसे गेंदबाजों से कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है।

जो रूट: मेनचेस्टर का बेताज बादशाह

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान जो रूट मेनचेस्टर में बल्ले से आग उगलते हैं। रूट ने यहां 11 टेस्ट मैचों में 978 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक (254 रन की ऐतिहासिक पारी) और सात अर्धशतक शामिल हैं। हाल ही में लॉर्ड्स टेस्ट में शतक जड़कर रूट फॉर्म में हैं, और मेनचेस्टर की पिच उनके बल्ले को और रास आ सकती है। भारतीय गेंदबाजों, खासकर जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज, को रूट को जल्दी आउट करने की रणनीति बनानी होगी, वरना वे भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

भारतीय टीम के सामने चुनौतियां और संभावनाएं

भारतीय टीम के लिए मेनचेस्टर में जीत की तलाश आसान नहीं होगी। बल्लेबाजी में विराट कोहली, रोहित शर्मा, और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों को बड़ी जिम्मेदारी लेनी होगी। खासकर कोहली, जिनका हालिया फॉर्म चिंता का विषय रहा है, को अपनी पुरानी लय हासिल करनी होगी। गेंदबाजी में बुमराह और रविचंद्रन अश्विन की भूमिका अहम होगी। अश्विन की फिरकी मेनचेस्टर की पिच पर कारगर हो सकती है, बशर्ते वे इंग्लैंड के बल्लेबाजों को टर्निंग ट्रैक पर बांधे रखें।

इसके अलावा, भारतीय टीम को पिछले दो टेस्ट में अपनी कमजोरियों, जैसे शुरुआती विकेट जल्दी गंवाना और मध्य क्रम का ढहना, पर काम करना होगा। मेनचेस्टर में मौसम की भूमिका भी अहम होगी। अगर बारिश होती है, तो मैच ड्रॉ की ओर बढ़ सकता है, जो भारत के लिए राहत की बात हो सकती है।

क्या कहती है रणनीति?

भारतीय थिंक टैंक के पास अब समय है कि वे मेनचेस्टर की परिस्थितियों को समझें और रणनीति बनाएं। कुछ अहम बिंदु जो भारत को ध्यान में रखने होंगे:

  • टॉप ऑर्डर की जिम्मेदारी: रोहित और यशस्वी जायसवाल को शुरुआती झटकों से बचना होगा।

  • मध्य क्रम को मजबूती: कोहली और गिल को लंबी पारियां खेलनी होंगी।

  • गेंदबाजी में विविधता: बुमराह की तेज गेंदबाजी और अश्विन की स्पिन का सही मिश्रण जरूरी है।

  • जो रूट पर अंकुश: रूट को जल्दी आउट करना भारत की जीत की कुंजी हो सकता है।