देश / लद्दाख में सैन्य बातचीत के बाद भारतीय सेना ने कहा- हम और चीनी आर्मी पूरी तरह हटने को प्रतिबद्ध

Live Hindustan : Jul 16, 2020, 02:14 PM
लद्दाख में बुधवार को कॉर्प्स कमांडर स्तर की करीब 15 तक तक चली लंबी बातचीत के बाद भारतीय सेना ने कहा कि भारत और चीन पूरी तरह सेना को हटाने के लेकर प्रतिबद्ध है। गुरुवार को एक बयान में सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, “भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेख पर बनी स्थिति के समाधान के लिए बने सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं।”

सेना ने कहा, “पीपुल्स लिबरेशन ऑफ आर्मी के कमांडर्स और भारतीय सेना के बीच चुशुल में भारत की सीमा में चौथे दौर की बैठक हुई।” भारतीय सेना ने आगे कहा कि सैनिकों के बीच सिलसिलेवार बातचीत भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 5 जुलाई को पूरी तरह सैनिकों के हटाने पर बनी सहमति के अनुरूप थी।

सेना ने कहा कि सीनियर कमांडर्स पहले चरण में सेना हटाने को लेकर हुई प्रगति और पूरी तरह सैनिकों के हटाने को लेकर आगे के कदम को सुनिश्चित करने पर इस दौरान चर्चा हुई।

भारतीय सेना ने बयान में कहा, "दोनों पक्ष पूरी तरह सैनिकों के हटाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह प्रक्रिया जटिल है और इसके निरंतर सत्यापन की आवश्यकता है। वे कूटनीतिक और सैनिक स्तर पर नियमित बैठकें कर इस ओर आगे बढ़ रहे हैं।" 

गौरतलब है कि चशुल के भारतीय इलाके में भारत और चीन के कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता 14 जुलाई की सुबह 11:30 बजे शुरू हुई और 15 जुलाई को करीब 2 बजे समाप्त हुई। यह बैठक लगभग 15 घंटे तक चली। 5 जुलाई को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर काफी विस्तार से तनाम कम करने को लेकर चर्चा की थी। 

बातचीत के पहले चरण के बाद चीनी सैनिकों ने फिंगर 4 से फिंगर 5  क्षेत्र में कदम वापस ले लिए। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि वे पहले ही गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और पैट्रोलिंग प्वाइंट -15 सहित अन्य विवादित स्थल में लगभग 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान आपसी मतभेद के कारण भारतीय पक्ष भी पीछे हट गया।

बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख में एलएसी पर करीब दो महीने से टकराव के हालात बने हुए हैं। छह जून को हालांकि दोनों सेनाओं में पीछे हटने पर सहमति बन गई थी लेकिन चीन उसका क्रियान्वयन नहीं कर रहा है। इसके चलते 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है। इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई है तथा 22 जून को सैन्य कमांडरों ने भी मैराथन बैठक की थी। 

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