Artificial intelligence / एआई रोजगार, खतरा या अवसर? भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नौकरियों पर दोहरी तलवार की तरह असर डाल रही है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक एआई लाखों नौकरियां खत्म कर सकती है, लेकिन इससे दोगुनी नई नौकरियां भी पैदा होंगी। भारत में कौशल विकास पर जोर देना महत्वपूर्ण है ताकि हम इस तकनीक का लाभ उठा सकें।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आज हर क्षेत्र में क्रांति ला रही है। यह तकनीक न केवल हमारे काम करने के तरीके को बदल रही है, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। लेकिन सवाल यह है: क्या एआई लाखों लोगों को बेरोजगार कर देगी, या यह नई संभावनाओं का द्वार खोलेगी? यह एक ऐसा विषय है, जिस पर दुनिया भर में बहस छिड़ी है। आंकड़े और विशेषज्ञों की राय बताती है कि एआई एक दोधारी तलवार है—एक तरफ यह कुछ नौकरियों को खत्म कर सकती है, तो दूसरी तरफ अपार अवसर भी पैदा कर रही है।

एआई का रोजगार पर प्रभाव: चुनौतियां

एआई और ऑटोमेशन ने कई क्षेत्रों में बदलाव ला दिया है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक एआई और ऑटोमेशन के कारण वैश्विक स्तर पर करोड़ों नौकरियां खत्म हो सकती हैं। भारत में स्थिति और भी जटिल है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत की बहुसंख्यक नौकरियां—खासकर डेटा एंट्री, ग्राहक सेवा, और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में—ऑटोमेशन से प्रभावित हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए, 2024 में अमेजन ने अपने कुछ परिचालनों में एआई-आधारित सिस्टम अपनाने के बाद हजारों कर्मचारियों की छंटनी की। इसी तरह, भारत की एक प्रमुख आईटी कंपनी ने एआई टूल्स के उपयोग से लगभग 5,000 नौकरियां समाप्त कीं। श्रम मंत्रालय के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर 8% के आसपास पहुंच गई, जिसमें युवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए एआई इस समस्या को और गहरा सकती है।

अवसरों का नया द्वार

हालांकि, एआई केवल नौकरियां छीनने वाली तकनीक नहीं है; यह नई संभावनाएं भी ला रही है। डब्ल्यूईएफ की उसी 2023 रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2027 तक एआई से खत्म होने वाली नौकरियों से दोगुनी नई नौकरियां पैदा होंगी। भारत में भी यह रुझान दिखाई दे रहा है। मशीन लर्निंग इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, और एआई नैतिकता विशेषज्ञ जैसे क्षेत्रों में मांग पिछले कुछ वर्षों में 40% से अधिक बढ़ी है।

स्वास्थ्य सेवा में एआई डायग्नोस्टिक टूल्स ने डॉक्टरों की दक्षता बढ़ाई है, जिससे नई नौकरियां पैदा हुई हैं। उदाहरण के लिए, एआई-आधारित इमेजिंग टूल्स ने रेडियोलॉजिस्ट्स के लिए सहायक भूमिकाएं बनाई हैं। कृषि क्षेत्र में, एआई ऐप्स ने किसानों की उत्पादकता बढ़ाई और एग्री-टेक स्टार्टअप्स में रोजगार के नए अवसर खोले। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां भारत में एआई ट्रेनिंग सेंटर्स स्थापित कर रही हैं, जो लाखों युवाओं को नई तकनीकों में प्रशिक्षित करेंगी। अनुमान है कि 2025 तक भारत का एआई सेक्टर लाखों नौकरियां पैदा करेगा।

चुनौतियों से निपटने की जरूरत

एआई के इस युग में जीत उसी की होगी, जो समय रहते तैयारी कर ले। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के प्रोफेसरों का कहना है कि भारत को अपने करोड़ों श्रमिकों को फिर से कौशल (रि-स्किलिंग) सिखाने की जरूरत है। सरकार की ‘स्किल इंडिया’ योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य 2025 तक लाखों युवाओं को एआई और डिजिटल तकनीकों में प्रशिक्षित करना है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जो देश कौशल विकास और शिक्षा में जल्दी निवेश करेंगे, वे एआई क्रांति से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। स्वीडन और सिंगापुर जैसे देशों ने रि-स्किलिंग और अप-स्किलिंग कार्यक्रमों के जरिए बेरोजगारी को न्यूनतम रखा है। भारत को भी इसी तरह की रणनीति अपनानी होगी।

आर्थिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक एआई वैश्विक जीडीपी में 13 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा करेगी, जिसमें भारत का हिस्सा लगभग 500 बिलियन डॉलर होगा। यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, एआई-संबंधित नौकरियों में 2025 तक 30% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। भारत सरकार की नेशनल एआई स्ट्रैटेजी 2024 में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश एआई शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए घोषित किया गया है, जिससे 50 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

इसके अलावा, यूनेस्को की 2025 की एक स्टडी में कहा गया है कि यदि महिलाओं को एआई और तकनीकी क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, तो लिंग-आधारित रोजगार अंतर (जेंडर जॉब गैप) 20% तक कम हो सकता है। यह न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि सामाजिक समानता को भी प्रोत्साहित करेगा।

अवसरों को अपनाएं, चुनौतियों से लड़ें

एआई कोई दुश्मन नहीं है; यह एक ऐसी चुनौती है, जो हमें और मजबूत बना सकती है। सही नीतियों, शिक्षा में सुधार, और निजी-सरकारी साझेदारियों के जरिए भारत इस क्रांति को अपने पक्ष में मोड़ सकता है। अगर हम समय पर कदम उठाएं—जैसे कि स्कूलों में एआई शिक्षा को शामिल करना, रि-स्किलिंग कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना—तो एआई करोड़ों लोगों के लिए समृद्धि का स्रोत बन सकती है।

नौकरियों पर एआई का प्रभाव

विश्व आर्थिक मंच की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक एआई से वैश्विक स्तर पर करोड़ों नौकरियां खत्म हो सकती हैं, लेकिन इससे दोगुनी नई नौकरियां भी पैदा होंगी। इसका अर्थ है कि कुल मिलाकर लाभ ही होगा, हालांकि बदलाव के दौरान बेरोजगारी बढ़ सकती है और भारत में स्थिति विशेष रूप से जटिल है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक, देश की बहुसंख्यक नौकरियां ऑटोमेशन से प्रभावित हो सकती हैं। डेटा एंट्री, ग्राहक सेवा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में चैटबॉट्स और रोबोट्स ने हजारों पद समाप्त कर दिए हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में अमेजन ने एआई-आधारित सिस्टम अपनाने पर हजारों कर्मचारियों की छंटनी की, और भारत की एक आईटी कंपनी ने भी इसी साल एआई टूल्स से 5,000 नौकरियां काटीं। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों से 2024 में बेरोजगारी दर 8%। के करीब पहुंच गई, जिसमें युवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि एआई इस समस्या को और गहरा सकती है, खासकर अकुशल श्रमिकों के लिए और

नए अवसरों का सृजन

दूसरी ओर, एआई नई नौकरियां पैदा कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मशीन लर्निंग इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट और एआई नैतिकता विशेषज्ञ जैसे क्षेत्रों में मांग 40% से ज्यादा बढ़ी है। भारत में, एआई सेक्टर 2025 तक लाखों नौकरियां देगा। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां यहां ट्रेनिंग सेंटर्स खोल रही हैं ताकि इस बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई डायग्नोस्टिक टूल्स ने डॉक्टरों की मदद की है, जिससे हजारों नई नौकरियां जुड़ी हैं। कृषि में एआई ऐप्स ने किसानों की उत्पादकता बढ़ाई और एग्री-टेक जॉब्स को बढ़ावा दिया और

कौशल विकास की आवश्यकता

विशेषज्ञों का मानना है कि बिना तैयारी के एआई विनाशकारी हो सकती है। आईआईटी प्रोफेसरों के अनुसार, भारत को करोड़ों लोगों को फिर से कौशल सिखाने की जरूरत है। सरकार की 'स्किल इंडिया' योजना इसी दिशा में काम कर रही है, जो लाखों युवाओं को एआई स्किल्स सिखाएगी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट बताती है कि कौशल पर जल्दी निवेश करने वाले देश एआई से लाभान्वित होंगे। स्वीडन और सिंगापुर जैसे देशों ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से बेरोजगारी को न्यूनतम रखा है 

लेखक: तेजपाल सिंह शेखावत, डीडवाना, राजस्थान