Artificial Intelligence / AI से ऐसे बदलेगी इंडिया की तस्वीर, इकोनॉमी को मिलेगी रफ्तार- विश्व बैंक का बड़ा दावा

भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपना रहा है और इससे निजी निवेश को मजबूती मिल सकती है। विश्व बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री फ्रांजिस्का ओहन्सॉर्गे ने कहा कि भारत का AI रेडीनेस इंडेक्स काफी ऊंचा है। खासकर BPO और सर्विस एक्सपोर्ट में इसका बड़ा असर दिख रहा है।

Artificial Intelligence: भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आर्थिक उछाल की दिशा में अग्रसर है। विश्व बैंक की दक्षिण एशिया की मुख्य अर्थशास्त्री फ्रांजिस्का ओहन्सॉर्गे ने हाल ही में दावा किया है कि भारत AI को अपनाने और इसके माध्यम से निजी निवेश को गति देने की उत्कृष्ट स्थिति में है। यह लेख भारत के AI क्षेत्र में प्रगति, निजी निवेश की स्थिति और भविष्य में व्यापार समझौतों के प्रभाव को रेखांकित करता है।

AI में भारत की मजबूत स्थिति

4 अक्टूबर, 2025 को एक मीडिया बातचीत में ओहन्सॉर्गे ने कहा कि भारत AI का लाभ उठाने के लिए असाधारण रूप से अनुकूल स्थिति में है। उन्होंने बताया कि भारत का AI रेडीनेस इंडेक्स अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी ऊंचा है और यह लगभग विकसित देशों के स्तर पर है। इसका कारण भारत में AI को तेजी से अपनाना और इसके विविध उपयोग हैं। विशेष रूप से, BPO (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) सेक्टर में AI का प्रभाव उल्लेखनीय है। ChatGPT के लॉन्च के बाद, AI कौशल की मांग वाली नौकरियों की संख्या दोगुनी हो गई है, जो अब कुल नौकरियों का 12% हिस्सा हैं। यह अन्य क्षेत्रों की तुलना में तीन गुना अधिक है।

इसके परिणामस्वरूप, भारत के सर्विस एक्सपोर्ट में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। विशेष रूप से, कंप्यूटर सेवाओं के निर्यात में ChatGPT के बाद 30% की वृद्धि हुई है, जबकि कुल सेवा निर्यात की वृद्धि स्थिर रही है। यह दर्शाता है कि AI न केवल भारत के तकनीकी क्षेत्र को बदल रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ा रहा है।

निजी निवेश: धीमा लेकिन स्थिर

महामारी के बाद भारत में निजी निवेश की गति धीमी रही है, जबकि कई अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह बढ़ा है। फिर भी, ओहन्सॉर्गे ने बताया कि भारत में निजी निवेश की वृद्धि अधिकांश विकासशील देशों की तुलना में बेहतर रही है। दूसरी ओर, सरकारी निवेश ने तेजी दिखाई है, जिसने अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में अभी भी अपेक्षाकृत कमजोर है।

ओहन्सॉर्गे का मानना है कि AI के बढ़ते उपयोग और नए व्यापार समझौतों के साथ, भारत में निजी निवेश को फिर से गति मिल सकती है। विशेष रूप से, टैरिफ नीतियों और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सुधार भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और मजबूत कर सकते हैं।

व्यापार समझौतों का भविष्य

ओहन्सॉर्गे ने मैक्सिको और वियतनाम जैसे देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि इन देशों ने अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ लगभग 50% GDP तक पहुंच हासिल की है। भारत के लिए यह आंकड़ा वर्तमान में 12% GDP के बराबर है। यदि भारत यूके, यूरोपीय संघ (EU), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और संभवतः अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करता है, तो यह पहुंच 50% GDP तक बढ़ सकती है।

विशेष रूप से, UK ट्रेड एग्रीमेंट को ओहन्सॉर्गे ने पिछले दशक का सबसे महत्वाकांक्षी समझौता बताया। यह समझौता न केवल टैरिफ को कम करता है, बल्कि सेवाओं और श्रमिक गतिशीलता (labour mobility) को भी बढ़ावा देता है। यह भारत के लिए सेवा क्षेत्र और मैन्युफैक्चरिंग दोनों में नए अवसर खोल सकता है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट और आर्थिक अनुमान

विश्व बैंक अपनी दक्षिण एशिया रिपोर्ट 7 अक्टूबर, 2025 को जारी करने वाली है। इससे पहले जून 2025 में जारी रिपोर्ट में भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान वित्त वर्ष 2026 के लिए 6.5% और अगले वित्त वर्ष के लिए 6.7% लगाया गया था। यह अनुमान भारत की मजबूत आर्थिक नींव और AI जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रगति को दर्शाता है।